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लौट रहा है महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल

महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल—जो संगीत, साहित्य और आध्यात्मिकता का एक अद्भुत संगम है, अपने आठवें संस्करण के साथ 13 दिसंबर से 15 दिसंबर 2024 के बीच वाराणसी के ऐतिहासिक घाटों पर लौट रहा है। यह तीन दिवसीय उत्सव—15वीं शताब्दी के रहस्यवादी कवि कबीर के अनंत ज्ञान का जश्न मनाता है। बीते संस्करणों की तरह फ़ेस्टिवल में इस बार भी देशभर से नामचीन कलाकार कबीर के ज्ञान को अपने हुनर से लोगों के सामने विभिन्न विधाओं से प्रस्तुत करेंगे।

उत्सव को लेकर महिंद्रा ग्रुप के प्रमुख, सांस्कृतिक प्रसार, जय शाह ने कहा, “महिंद्रा ग्रुप आठवें महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल को एकबार फिर प्रस्तुत करने पर गर्व महसूस कर रहा है। वाराणसी में इस फ़ेस्टिवल की बढ़ती लोकप्रियता देखना वाक़ई बहुत दिलचस्प है। कबीर के विचारों को विभिन्न तरीक़ों—संगीत की विभिन्न विधाओं, साहित्य सत्रों और धरोहरों की सैर—के माध्यम से फिर से देखना-महसूस करना अनोखा अनुभव होगा और इसके लिए एक प्राचीन शहर में होना जहाँ ख़ुद कबीर रहा करते थे; यह वास्तव में जीवन भर का आनंद प्राप्त करने वाला अनुभव होगा। "

तीन दिवसीय फ़ेस्टिवल में पवित्र गंगा नदी के तट पर भव्य गंगा आरती का आयोजन किया जाएगा। इस गंगा आरती से गंगा के शांत तट  पर उपस्थित श्राताओं को वाराणसी की मनमोहक अविस्मरणीय संगीत यात्रा से रूबरू होने का मौक़ा मिलेगा।

फ़ेस्टिवल में विविध संगीत प्रदर्शन, कर्नाटक संगीत, अर्ध-शास्त्रीय, सूफ़ी, इंडी फ़्यूजन, शास्त्रीय और लोक संगीत सहित विभिन्न शैलियों के संगीतकार अपने प्रदर्शन से समाँ बाँधेंगे।

साहित्य सत्र में  कबीर के जीवन, दर्शन और कविता पर गहन चर्चाएँ आयोजित की जाएँगी। 

धरोहर सैर में वाराणसी के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों का भ्रमण कराया जाएगा ,जो श्राताओं को इस प्राचीन शहर से रूबरू होने और जानने का मौक़ा देगा।

फ़ेस्टिवल की शुरुआत कर्नाटक चौकड़ी (कर्नाटिक क्वार्टेट) से  होगी, जिसकी अवधारणा और क्यूरेशन श्रेया देवनाथ द्वारा की गई है, इसमें वाद्य यंत्र बजाने वाले चार कलाकार शामिल हैं। वे दिव्यता, प्रकृति और उनके परस्पर संबंधों के विषयों की खोज करते हुए, कर्नाटक से लेकर अर्ध-शास्त्रीय प्रदर्शनों तक की रचनाओं का प्रदर्शन करेंगे। 

अनादि नगर की महफ़िल—शाम का एक और आकर्षण होगी, अनादि नगर लोक और थिएटर गीतों के माध्यम से कबीर के निर्गुणधारा को जीवंत करेंगे, महफ़िल के प्रदर्शनों का एक प्रमुख तत्व कबीर के निर्गुणधारा के साथ उनकी प्रतिध्वनि है।
 
महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल प्रत्येक दिन एक कायाकल्प करने वाले सुबह के संगीत कार्यक्रम के साथ शुरू होगा। गायिका और वादक युसरा नकवी का ‘मन लागो रे’ का उद्देश्य अपनी कला के माध्यम से अपने श्रोताओं के लिए एक मार्मिक और भावनात्मक  रूप से कबीर से जुड़ना होगा। सर्वतारा कबीर के छंदों से प्रेरित अपनी रचनाओं के साथ 'प्रोजेक्ट कहत कबीर' पेश करेंगे। देवब्रत मिश्रा बनारस घराना स्कूल के प्रतिपादक हैं और सितार, सुरबहार और गायन में महारत रखते हैं। मिथाविन भारतीय शास्त्रीय संगीत और जैज़ का एक आकर्षक संलयन पेश करेंगे। इस प्रस्तुति में कबीर के दोहों के पाठ को ज्ञानवर्धक व्याख्याओं के साथ बेहतरीन ढंग से जोड़ा गया है।

दोपहर के सत्र में सर्न की प्रतिष्ठित वैज्ञानिक डॉ. अर्चना शर्मा शामिल होंगी, जिन्होंने हाल ही में सह-लेखकों अनिल शर्मा और राजेश के सिंह के साथ मिलकर अँग्रेज़ी, हिंदी और संस्कृत में वाराणसी को श्रद्धांजलि देते हुए एक आकर्षक कॉफ़ी टेबल बुक लिखी है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ओरिएंटल स्टडीज संकाय के पूर्व विजिटिंग प्रोफ़ेसर और ‘अकथ कहानी प्रेम की : कबीर की कविता और उन का समय’ के प्रशंसित लेखक पुरुषोत्तम अग्रवाल—‘कबीर क्यों?’ के बारे में बात करेंगे। हिमांशु बाजपेयी और प्रज्ञा शर्मा की—‘दास्तान-ए-कबीर’ एक दास्तानगोई प्रस्तुति है जो कबीर के जीवन, दर्शन और कविता की खोज करती है। लोक कथाओं और उनकी कविता के माध्यम से, यह दास्तान कबीर के चरित्र, आध्यात्मिकता और सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर महत्त्वपूर्ण अंतर्दृष्टि को उजागर करने का प्रयास करेंगी। अरावनी आर्ट प्रोजेक्ट एक भारतीय सार्वजनिक कला समूह है, जो ट्रांस और सीआईएस महिलाओं द्वारा चलाया जाता है, जिसकी शुरुआत पूर्णिमा सुकुमार ने की थी, यह ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को एक साथ लाता है जो शहर में और उसके आसपास सार्वजनिक स्थानों पर अपने जीवन और अनुभवों से प्रेरित होकर भित्ति चित्र बनाते हैं।

शाम के संगीत कार्यक्रम में केरल से बंगाल तक की अलग-अलग आवाज़ें होंगी। दिल्ली का एक उदार फ्यूजन बैंड ‘अद्वैत’ समकालीन भारतीय ध्वनियों के साथ दर्शकों को मंत्रमुग्ध करेगा। मधुप मुद्गल और सावनी मुद्गल की कबीर बानी कबीर के प्रति उत्साही लोगों के लिए एक ट्रीट होगी जो कबीर बाणी के माध्यम से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति देंगे। फकीरा  बंगाली लोक संगीत को कबीर की काव्य के साथ मिलाकर एक अनूठा अनुभव प्रदान करेंगे।  थाइक्कुदम ब्रिज लोक और शास्त्रीय भारतीय ध्वनियों को प्रोग्रेसिव, पॉप, एम्बिएंट और इलेक्ट्रॉनिक टेक्सचर के साथ मिलाकर एक नया आयाम स्थापित करेंगे।

महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल  सिर्फ़ एक संगीत उत्सव नहीं है, बल्कि यह संगीत, साहित्य, और आध्यात्मिकता का एक ऐसा मंच है जो हमें कबीर के अनंत ज्ञान से जोड़ता है।

अधिक जानकारी के लिए, कृपया यहाँ देखें : https://mahindrakabira.com/

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