मैंने कविता लिखना कैसे प्रारंभ किया
देश भक्ति के साथ मोहिनी मंत्र मातृभाषा का पाकर प्रकृति प्रेम मधु-रस में डूबा गूंज उठा अंगों का मधुकर फूलों की ढेरों में मुझको मिला ढँका अमरो का पावक युग पिक बनना भाया मन को, जीवन चिंतक, जन भू भावक! नैसर्गिक सौंदर्य, पुष्प-सा, खिला दृष्टि में निर्निमेष