विश्व पुस्तक मेला 2025 : पुस्तकों के साथ साहित्य और संस्कृति का उत्सव
हिन्दवी डेस्क
22 जनवरी 2025

देशभर के साहित्य-प्रेमियों की उत्सुकता को बढ़ाते हुए—भारत में पठन-संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गठित शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की पुस्तक संबंधित नोडल एजेंसी—नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया (एनबीटी) ने बहुप्रतीक्षित नई दिल्ली ‘विश्व पुस्तक मेला’ 2025 की मेज़बानी करने और आयोजन संबंधित तारीख़ों एवं जानकारियों की घोषणा कर दी है।
गत 52 वर्षों से अधिक की विरासत के साथ, दुनिया के सबसे बड़े और सबसे ज़्यादा देखे जाने वाले साहित्यिक उत्सवों में से एक है—विश्व पुस्तक मेला का नवीनतम संस्करण 1 से 9 फ़रवरी, 2025 तक भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित होगा। यह बीते वर्षों में हुए संस्करणों से कहीं अधिक बड़ा और बेहतर होगा; जिसमें विश्व की सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों के साथ साहित्य और संस्कृति का उत्सव मनाया जाएगा।
इस वर्ष के विश्व पुस्तक मेले की थीम “हम, भारत के लोग...”—भारतीय संविधान की प्रस्तावना के प्रारंभिक शब्द हैं। पुस्तक मेले का थीम पवेलियन गणतंत्र भारत के 75 वर्षों (1950 - 2025) के उत्सव को विशिष्ट रूप से दिखाएगा।
इस साल पुस्तक मेले में क्या-क्या है ख़ास?
• थीम मंडप (हॉल 5) : नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ डिज़ाइन, अहमदाबाद द्वारा डिज़ाइन किया गया यह मंडप इंस्टॉलेशन, किताबों, वृत्तचित्रों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से भारत के गणतंत्रीय आदर्शों को दिखाएगा।
• अंतरराष्ट्रीय फ़ोकस मंडप (हॉल 4) : ‘रूस से आई किताबें’—क्यूरेटेड प्रदर्शनों के माध्यम से रूस की समृद्ध साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन करेगा।
• लेखक कॉर्नर (हॉल 5) और लेखक मंच (हॉल 2) : साहित्यिक चर्चाओं में प्रमुख लेखकों, कवियों और अनुवादकों के साथ बातचीत संपन्न होगी।
• बच्चों का मंडप (हॉल 6) : कथावाचन, लेखन एवं अन्य रचनात्मक कार्यशालाओं और इंटरैक्टिव गतिविधियों के साथ युवा पाठकों एवं अभिभावकों की पसंदीदा जगह होगी।
• ‘सभी के लिए पुस्तकें’ (नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया और दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार) की संयुक्त पहल के तहत ब्रेल पुस्तकों का हॉल 6 में निःशुल्क वितरण किया जाएगा।
• सांस्कृतिक मंच : गणतंत्र भारत के 75 वर्ष पूरे होने पर भारत की विविधता और विरासत का उत्सव मनाने वाले सांस्कृतिक प्रदर्शन प्रतिदिन शाम 6 से 8 बजे तक संपन्न होंगे।
• चित्रकारों का कोना : प्रकाशन में कला एवं व्यंग्यात्मक कार्टून के कार्यों की प्रदर्शनी
आयोजन से जुड़ी अन्य जानकारियों के लिए आप www.nbtindia.gov.in पर भी जा सकते हैं।
पुस्तक मेला जाने की सोच रहे हैं तो जान लीजिए ये ज़रूरी सूचनाएँ :
• आयोजन तिथि : 1 से 9 फ़रवरी, 2025
• समय : सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक
• टिकट बिक्री : पुस्तक मेले के सहआयोजक भारत व्यापार संवर्धन संगठन (आईटीपीओ) द्वारा ऑनलाइन (टिकट बिक्री लिंक की सूचना 26 जनवरी से एनबीटी इंडिया की वेबसाइट www.nbtindia.gov.in और ITPO की वेबसाइट https://indiatradefair.com/ पर दी जाएगी)।
• टिकट दिल्ली मेट्रो के चुनिंदा स्टेशनों पर भी उपलब्ध होंगे।
• टिकट दर : वयस्कों के लिए 20/- रु. बच्चों के लिए 10/-रु।
• छात्रों (स्कूल यूनिफ़ॉर्म में), वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों के लिए प्रवेश नि:शुल्क है।
• स्थान : हॉल 2-6, भारत मंडपम (प्रगति मैदान), नई दिल्ली
• प्रवेश द्वार : गेट 10 (मेट्रो स्टेशन के पास), गेट 4 (भैरों रोड), गेट 3
• निकटतम मेट्रो स्टेशन : सुप्रीम कोर्ट
• शटल सेवा गेट नंबर 10 से उपलब्ध होगी।
'बेला' की नई पोस्ट्स पाने के लिए हमें सब्सक्राइब कीजिए
कृपया अधिसूचना से संबंधित जानकारी की जाँच करें
आपके सब्सक्राइब के लिए धन्यवाद
हम आपसे शीघ्र ही जुड़ेंगे
बेला पॉपुलर
सबसे ज़्यादा पढ़े और पसंद किए गए पोस्ट
23 सितम्बर 2025
विनोद कुमार शुक्ल : 30 लाख क्या चीज़ है!
जनवरी, 2024 में मैंने भोपाल छोड़ दिया था। यानी मैंने अपना कमरा छोड़ दिया था। फिर आतंरिक परीक्षा और सेमेस्टर की परीक्षाओं के लिए जाना भी होता तो कुछ दोस्तों के घर रुकता। मैं उनके यहाँ जब पहुँचा तो पाया
05 सितम्बर 2025
अपने माट्साब को पीटने का सपना!
इस महादेश में हर दिन एक दिवस आता रहता है। मेरी मातृभाषा में ‘दिन’ का अर्थ ख़र्च से भी लिया जाता रहा है। मसलन आज फ़लाँ का दिन है। मतलब उसका बारहवाँ। एक दफ़े हमारे एक साथी ने प्रभात-वेला में पिता को जाकर
10 सितम्बर 2025
ज़ेन ज़ी का पॉलिटिकल एडवेंचर : नागरिक होने का स्वाद
जय हो! जग में चले जहाँ भी, नमन पुनीत अनल को। जिस नर में भी बसे हमारा नाम, तेज को, बल को। —दिनकर, रश्मिरथी | प्रथम सर्ग ज़ेन ज़ी, यानी 13-28 साल की वह पीढ़ी, जो अब तक मीम, चुटकुलों और रीलों में
13 सितम्बर 2025
त्याग नहीं, प्रेम को स्पर्श चाहिए
‘लगी तुमसे मन की लगन’— यह गीत 2003 में आई फ़िल्म ‘पाप’ से है। इस गीत के बोल, संगीत और गायन तो हृदयस्पर्शी है ही, इन सबसे अधिक प्रभावी है इसका फ़िल्मांकन—जो अपने आप में एक पूरी कहानी है। इस गीत का वीड
12 सितम्बर 2025
विभूतिभूषण बंद्योपाध्याय : एक अद्वितीय साहित्यकार
बांग्ला साहित्य में प्रकृति, सौंदर्य, निसर्ग और ग्रामीण जीवन को यदि किसी ने सबसे पूर्ण रूप से उभारा है, तो वह विभूतिभूषण बंद्योपाध्याय (1894-1950) हैं। चरित्र-चित्रण, अतुलनीय गद्य-शैली, दैनिक जीवन को