रेनर मारिया रिल्के की संपूर्ण रचनाएँ
उद्धरण 28
संवाद में दो तरह की स्वतन्त्रता सम्भव है। मेरे ख़्याल से यही दो सर्वोत्तम रूप हैं। एक तो यह कि किसी महत्त्वपूर्ण वस्तु से सीधे-सीधे साक्षात्कार करें। दूसरा रास्ता वह है जो रोज़मर्रा के जीवन में होता है। जैसे हम एक-दूसरे से मिलते हुए, एक-दूसरे के काम के बारे में बात करते हुए या मदद करते हुए (विनम्र शब्दों में) या प्रशंसा करते हुए आपस में संवाद करते हैं। पर किसी भी मामले में परिणाम का सामने आना ज़रूरी है। अगर कोई अपने सफलता के उपकरणों के बारे में बात नहीं करता तो इसका अर्थ यह नहीं कि हमारे आपसी विश्वास में कोई कमी है या उसकी बताने की इच्छा नहीं है या वह इस प्रसंग में पड़ना ही नहीं चाहता