महात्मा गाँधी के उद्धरण



क्या कोई व्यक्ति स्वप्न में भी यह सोच सकता है कि अंग्रेज़ी भविष्य में किसी भी दिन भारत की राष्ट्रभाषा हो सकती है? फिर राष्ट्र के पाँवों में यह बेड़ी किसलिए?
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महर्षि ने पुकार, पुकार कर हिन्दू समाज के आगे ब्रह्मचर्य का मंत्र रखा, भारतीय संस्कृति के प्रचार पर ज़ोर दिया और वेदों के अभ्यास के महत्त्व की ओर सारे समाज का ध्यान खींचा। ऋषि की यह सेवा भूलने योग्य नहीं है, कोई उसे भूल नहीं सकता।
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यदि हम स्वयं मानवीय दया से शून्य है तो उसके सिंहासन के निकट दूसरों की निष्ठुरता से मुक्ति पाने की याचना हम नहीं कर सकते।
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