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वैश्विक कविता पर कविताएँ

इतवार को अपने हृदय से

वीस्वावा षिम्बोर्स्का

अस्पताल से रपट

वीस्वावा षिम्बोर्स्का

वाइन पीते हुए

वीस्वावा षिम्बोर्स्का

तुम देखते हो...

अलेक्सांद्र ब्लोक

वसीयत

निकोलाय ज़बोलोत्स्की

वियतनाम

वीस्वावा षिम्बोर्स्का

प्रतीक्षा न करो...

अलेक्सांद्र ब्लोक

सुबह का गीत

निकोलाय ज़बोलोत्स्की

यह उत्कट जिप्सी प्रेम

मारीना त्स्वेतायेवा

मित्रों की विदाई

निकोलाय ज़बोलोत्स्की

दांते की समाधि के पास

निकोलाय ज़बोलोत्स्की

बुलाना नहीं...

अलेक्सांद्र ब्लोक

यास्वो के नज़दीक भुखमरी शिविर

वीस्वावा षिम्बोर्स्का

रात के धुँधलके से ढकी

अलेक्सांद्र ब्लोक

सैर

निकोलाय ज़बोलोत्स्की

क़ब्रगाह के पायदान...

अलेक्सांद्र ब्लोक

भूखा

निकोलाइ नेक्रासोव

ख़ुद से पूछे गए सवाल

वीस्वावा षिम्बोर्स्का

प्रेयसी से

व्लादिमीर सोलोवएव

हंस की मौत

याकोव पोलोन्स्की

सुबह चार बजे

वीस्वावा षिम्बोर्स्का

बे-कटा खेत

निकोलाइ नेक्रासोव

आएँगे दिन उन कविताओं के

मारीना त्स्वेतायेवा

गाथा-गीत

वीस्वावा षिम्बोर्स्का

अंधा पादरी

याकोव पोलोन्स्की

शोकगीत

अलेक्सांद्र पूश्किन

लोरी—वृद्ध के लिए

फेदोर सोलोगुब

समाधि-लेख

मारीना त्स्वेतायेवा

किसी ने भी छीना नहीं

मारीना त्स्वेतायेवा

कविताएँ पढ़ते हुए

निकोलाय ज़बोलोत्स्की

चुप है आत्मा...

अलेक्सांद्र ब्लोक

कल, मौत के बारे में सोचते हुए

निकोलाय ज़बोलोत्स्की

हरेक की ओर

मारीना त्स्वेतायेवा

माथा चूमने पर

मारीना त्स्वेतायेवा

तारों और गुलाबों की तरह

मारीना त्स्वेतायेवा

एक झील जंगल में

निकोलाय ज़बोलोत्स्की

कवि ही रहूँगी

मारीना त्स्वेतायेवा

याद है क्या तुम्हें...

अलेक्सांद्र ब्लोक

एक है चेहरा दुनिया का

निकोलाय ज़बोलोत्स्की

रात में जब

अलेक्सांद्र ब्लोक

दूसरों के भ्रामक सौंदर्य

मारीना त्स्वेतायेवा

कला

निकोलाय ज़बोलोत्स्की

रात-भर न सो पाने के बाद

मारीना त्स्वेतायेवा

जम जाएँगे ठंड से दो सूर्य

मारीना त्स्वेतायेवा

पानी में आदमी

निकोलाय ज़बोलोत्स्की

स्मृतियाँ

निकोलाय ज़बोलोत्स्की

सर्कस के जानवर

वीस्वावा षिम्बोर्स्का

सारस

निकोलाय ज़बोलोत्स्की

तातियाना का पत्र

अलेक्सांद्र पूश्किन

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

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