Font by Mehr Nastaliq Web

आम पर कविताएँ

अपने रूप, गंध, स्वाद

के कारण आम को फलों का राजा कहा जाता है और इन्हीं कारणों से प्राचीन काल से ही यह काव्य में अपनी उपस्थिति जताता रहा है।

आम के बाग़

आलोकधन्वा

आम खाते हुए रोना

गार्गी मिश्र

अमराई

प्रेम रंजन अनिमेष

आम और पत्तियाँ

मुकेश निर्विकार

अंतिम अध्याय

महेश आलोक

कच्चा प्रेम

प्रेमशंकर शुक्ल

मामूली मत समझो आम

रमेशदत्त दुबे

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

पास यहाँ से प्राप्त कीजिए