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सन्नाटा पर कविताएँ

सन्नाटा का अर्थ है—स्तब्धता,

ख़ामोशी, मौन। यह निर्जनता और एकांत का भी अर्थ देता है। रूपक में सन्नाटा चीख़ का विलोम भी हो सकता है, चीख़ का प्रतिरोध और पर्याय भी। प्रस्तुत चयन में शामिल कविताओं में सन्नाटे की आवाज़ को बख़ूबी सुना जा सकता है।

तुम्हारा मौन

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

सन्नाटा

भवानीप्रसाद मिश्र

मेरे भीतर की कोयल

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

छंद

अज्ञेय

समय के उलट

अंजुम शर्मा

ज्ञ

प्रकाश

अकथ

प्रकाश

समझदारों का गीत

गोरख पांडेय

कुछ न होने के तले

अमिताभ चौधरी

चुप्पी

गिरधर राठी

नया करती हुई

नंदकिशोर आचार्य

बोल रहा जल

नंदकिशोर आचार्य

जड़ता का गीत

इब्बार रब्बी

सन्नाटा

नेमिचंद्र जैन

मुलाक़ात

नवीन रांगियाल

श्राप

संगीता गुंदेचा

भीगना

अमेय कांत

चुप्पी का समाजशास्त्र

जितेंद्र श्रीवास्तव

चुप रहिए

राम जन्म पाठक

पाँव पसारती है चुप

पारुल पुखराज

जा चुके लोग

उत्कर्ष

पुरानी ख़ामोशी

दिलीप शाक्य

सन्नाटा

जगन्नाथ प्रसाद दास

साँवली ख़ामोशी

विजय बहादुर सिंह

आरफ़्यूज़

दूधनाथ सिंह

अलविदा

कुलदीप कुमार

चुप्पी

आशीष यादव

विरह

सुमित त्रिपाठी

एक गहरी चुप्पी

वंदना पराशर

नहीं बोलने पर

विजया सिंह

विरोध

शंकरानंद

इक लरज़ता नीर था

सुरजीत पातर

ख़ून और ख़ामोशी

सविता सिंह

छुएगा नहीं उदासी

पारुल पुखराज

अनाहत नीरवता के नग्न लोक में

वीरेंद्र कुमार जैन

अगली सदी तक

नरेंद्र जैन

झींगुर

शिवम तोमर

ख़ामोशी का शोर

अतिया दाऊद

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