Font by Mehr Nastaliq Web

मानसिक पर उद्धरण

मानसिक रस की विकृति से भी हममें उन्मत्तता जाती है, तब फिर वह किसी तरह के बंधन को नहीं मानता है, अधैर्य, अशांति से वह उच्छ्वसित हो उठता है।

रवींद्रनाथ टैगोर

हिंदुस्तान में पढ़े-लिखे लोग कभी-कभी एक बीमारी के शिकार हो जाते हैं। उसका नाम ‘क्राइसिस ऑफ़ कांशस’ है। कुछ डॉक्टर उसी में 'क्राइसिस ऑफ़ फेथ' नाम की एक दूसरी बीमारी भी बारीकी से ढूँढ़ निकालते हैं। यह बीमारी पढ़े-लिखे लोगों में आमतौर से उन्हीं को सताती है जो अपने को बुद्धिजीवी कहते हैं और जो वास्तव में बुद्धि के सहारे नहीं, बल्कि आहार-निद्रा-भय-मैथुन के सहारे जीवित रहते हैं (क्योंकि अकेली बुद्धि के सहारे जीना एक नामुमकिन बात है)। इस बीमारी में मरीज़ मानसिक तनाव और निराशावाद के हल्ले में लंबे-लंबे वक्तव्य देता है, ज़ोर-ज़ोर से बरस करता है बुद्धिजीवी होने के कारण अपने को बीमार और बीमार होने के कारण अपने को बुद्धिजीवी साबित करता है और अंत में इस बीमारी का अंत कॉफ़ी-हाउस की बहसों है, शराब की बोतलों में, आवारा औरतों की बाँहों में, सरकारी नौकरी में और कभी-कभी आत्महत्या में होता है।

श्रीलाल शुक्ल

मानसिक रूप-विधान का नाम ही संभावना या कल्पना है।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल

मनुष्य के आध्यात्मिक विकास के लिए अवकाश की ही आवश्यकता है, शारीरिक श्रम उसका विरोधी है।

महात्मा गांधी

जिन्हें नींद नहीं आती वे अपराधी लोग होते हैं क्योंकि उन्हें आत्मा की शांति की बाबत कुछ पता नहीं होता और वे अपनी सनकों से प्रताड़ित होते रहते हैं।

पीएत्रो चिताती

आप फ्रायड के नियमों को मानें या नहीं, उसका यह महत्त्वपूर्ण योगदान स्वीकार करना होगा कि कोई व्यक्ति पूरी तरह से सामान्य नहीं होता।

मृदुला गर्ग

अपनी उपलब्धियों से संतुष्टि का अनुभव हमें हमारे चारों ओर मौजूद खतरों का अवलोकन करने से रोकता है।

अशदीन डॉक्टर

ऑक्सीजन की कमी दिमाग़ को थका देती है।

कृष्ण कुमार

जिस तरह आईने के आविष्कार ने हमारे शारीरिक स्वरूप को बदल दिया, उसी तरह प्रतिबिंब या अपने अंदर झाँकने की यह आदत हमारे मानसिक स्वरूप को बदल सकती है।

अशदीन डॉक्टर