Font by Mehr Nastaliq Web

स्मृति पर कविताएँ

स्मृति एक मानसिक क्रिया

है, जो अर्जित अनुभव को आधार बनाती है और आवश्यकतानुसार इसका पुनरुत्पादन करती है। इसे एक आदर्श पुनरावृत्ति कहा गया है। स्मृतियाँ मानव अस्मिता का आधार कही जाती हैं और नैसर्गिक रूप से हमारी अभिव्यक्तियों का अंग बनती हैं। प्रस्तुत चयन में स्मृति को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।

प्रेम लौटता है

गौरव गुप्ता

कुछ बन जाते हैं

उदय प्रकाश

ट्राम में एक याद

ज्ञानेंद्रपति

या

सौरभ अनंत

पहाड़ पर लालटेन

मंगलेश डबराल

ख़ाली आँखें

नवीन रांगियाल

शहर फिर से

मंगलेश डबराल

तुम जहाँ मुझे मिली थीं

पंकज चतुर्वेदी

पितृ-स्मृति

आदर्श भूषण

हंडा

नीलेश रघुवंशी

तुम

अदनान कफ़ील दरवेश

यादगोई

सुधांशु फ़िरदौस

उसी शहर में

ध्रुव शुक्ल

पिता

नवीन रांगियाल

इलाहाबाद

संदीप तिवारी

याद

कैलाश वाजपेयी

टॉर्च

मंगलेश डबराल

अगले सबेरे

विष्णु खरे

पेड़ों का अंतर्मन

हेमंत देवलेकर

याद आना

रवींद्रनाथ टैगोर

आरर डाल

त्रिलोचन

प्रेमिकाएँ

सुदीप्ति

मेघदूत विषाद

सुधांशु फ़िरदौस

बासी रोटियाँ

उपासना झा

बहनें

असद ज़ैदी

याद नहीं

मनमोहन

गुमशुदा

मंगलेश डबराल

अवांछित लोग

कुमार अम्बुज

ख़तरा

कुमार अम्बुज

माँ का नमस्कार

मंगलेश डबराल

तुम्हारा होना

राही डूमरचीर

चौराहा

राजेंद्र धोड़पकर

तुम्हारा नाम

राजेंद्र धोड़पकर

जेएनयू में वसंत

आमिर हमज़ा

तुम अगर सिर्फ़

सारुल बागला

चश्मा

राजेंद्र धोड़पकर

कोई तो

रचित

फागुन का गीत

अजित पुष्कल

किराए का घर

संदीप तिवारी

मारिना

टी. एस. एलियट

विदा

प्रभात

छठ का पूआ

रामाज्ञा शशिधर

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

रजिस्टर कीजिए