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जैक कैरुआक

1922 - 1969 | मैसाचुसेट्स

जैक कैरुआक (1922–1969) एक अमेरिकी लेखक हैं। वह अपनी ख़ास लेखन शैली ‘स्ट्रीम ऑफ़ कॉन्शियसनेस’ के लिए जाने जाते हैं। उनके लेखन और व्यक्तित्व ने उन्हें अंडरग्राउंड सर्कल्स में काफ़ी प्रसिद्धि दी और अन्य बीट जनरेशन लेखकों के साथ उन्होंने हिप्पी मूवमेंट को प्रेरित किया।

जैक कैरुआक (1922–1969) एक अमेरिकी लेखक हैं। वह अपनी ख़ास लेखन शैली ‘स्ट्रीम ऑफ़ कॉन्शियसनेस’ के लिए जाने जाते हैं। उनके लेखन और व्यक्तित्व ने उन्हें अंडरग्राउंड सर्कल्स में काफ़ी प्रसिद्धि दी और अन्य बीट जनरेशन लेखकों के साथ उन्होंने हिप्पी मूवमेंट को प्रेरित किया।

जैक कैरुआक के उद्धरण

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रुचि का चमकता केंद्र वह आँख है, जो आँख के भी भीतर है।

  • संबंधित विषय : आँख

जीवन के पवित्र रूप में विश्वास करो।

संसार की सच्ची कहानी को भीतर तैयार हुए एकालाप में कहो।

सरल मन वाले दीवाने संत सरीखे बनो।

जो पहले से मन में पूर्ण हो, उस प्रवाह को बह जाने से रोकने के लिए संघर्ष करो।

हर चीज़ के लिए समर्पित रहो, हृदय खोलो, ध्यान देकर सुनो।

अपने अनुभव, भाषा और ज्ञान की गरिमा के बारे में कोई भय या शर्म मत रखो।

चरित्र की प्रशंसा कठोर, अमानवीय अकेलेपन में करो।

मन की अथाह गहराई में उतरकर लिखो, जो मन में आए वह लिखो।

दुनिया के लिए लिखो, ताकि वह आपके देखे दृश्यों को पढ़कर, हू-ब-हू देख सके।

स्मरण-शक्ति के साथ लिखो और ख़ुद के आश्चर्य के लिए लिखो।

प्रूस्त की तरह समय का एक संयंमी चाय-प्रेमी बनो।

  • संबंधित विषय : समय

भीतर से उभरता हुआ, जंगली, अनुशासनहीन, शुद्ध रूप से लिखा हुआ—ख़याल; जितना अजीब, उतना बेहतर।

जब रुको तो शब्दों के बारे में मत सोचो, बल्कि उस दृश्य को और बेहतर करके देखो।

अपने जीवन के प्रेम में डूबे रहो।

हर ख़याल कविता नहीं है, लेकिन ख़याल तो है।

जल्दी-जल्दी में लिखी गईं गोपनीय नोटबुक्स और तीव्र भावनाओं में टाइप किए गए पन्ने, जो ख़ुद की ख़ुशी के लिए हों।

कोशिश करो कि कभी अपने घर के बाहर शराब के नशे में धुत्त मिलो।

  • संबंधित विषय : घर

बुक-मूवी—शब्दों में दिखती फ़िल्म है, दृश्य शैली का अमेरिकी रूप।

साहित्यिक, व्याकरणिक और वाक्य-विन्यास संबंधी प्रतिबंधों को भूल जाओ।

खोने को हमेशा के लिए स्वीकार लो।

भीतर की नज़रों के अर्थपूर्ण सार को शब्दों के सागर में तैरते हुए तैयार करो।

आप सब समय जीनियस होते हैं।

  • संबंधित विषय : समय

सांसारिक फ़िल्मों के लेखक-निर्देशक स्वर्ग के फ़रिश्तों द्वारा प्रेरित और तैयार होते हैं।

जो कुछ आप महसूस करते हो, वह ख़ुद-ब-ख़ुद अपना अस्तित्व पाएगा।

अपनी तीव्र-अकथनीय-विशिष्ट व्यक्तिगत अंतर्दृष्टियों का सामना करो।

उतरो—जितना गहरा उतरना चाहते हो।

सामने मौजूद चीज़ पर सम्मोहित होकर उसके सपने में गुम हो जाओ।

छाती में काँपती अनियंत्रित-अनैच्छिक तरंगों को पहचानो।

हर दिन का ब्योरा रखो, अपनी सुबह की तारीख़ को उम्मीद के रंग से भरो।

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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