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गार्गी मिश्र

1988 | वाराणसी, उत्तर प्रदेश

नई पीढ़ी की कवयित्री। शोध, गद्य-लेखन और अनुवाद-कार्य में भी सक्रिय।

नई पीढ़ी की कवयित्री। शोध, गद्य-लेखन और अनुवाद-कार्य में भी सक्रिय।

गार्गी मिश्र के बेला

08 नवम्बर 2024

गिफ़्टेड : एक जीनियस बच्ची के बचपन को बचाने की कहानी

गिफ़्टेड : एक जीनियस बच्ची के बचपन को बचाने की कहानी

अपनी माँ की भाषा में कहूँ तो गिफ़्टेड एक मामा और भांजी के एक आत्मीय रिश्ते पर आधारित एक फ़िल्म है। मामा यानी माँ का भाई, गिफ़्टेड देखते हुए मुझे अपने मामा की याद बरबस ही आती रही कि कैसे उन्होंने हम भा

19 अक्तूबर 2024

CTRL :  एक बेमेल दुनिया की सच्चाई, जहाँ से बचना लगभग असंभव है

CTRL : एक बेमेल दुनिया की सच्चाई, जहाँ से बचना लगभग असंभव है

कभी-कभी सोचती हूँ कि यह आभासी दुनिया भी कितनी उकताऊ हो चुकी है। कुछ भी आभासी देखने या सुनने का मन नहीं होता। जब मैंने नेटफ़्लिक्स पर ‘CTRL’ देखनी शुरू की, तो मुझे लगा कि यह एआई और डेटा-प्राइवेसी पर आ

12 अक्तूबर 2024

रामनगर की रामलीला

रामनगर की रामलीला

मुझे आज भी वह दिन याद है, जब मैंने पहली बार रामनगर, वाराणसी की रामलीला देखी थी। हम सब भाई-बहन ऑटो में बैठकर पापा के साथ रामलीला देखने गए थे। पीछे मुड़कर देखो सब कुछ सपने जैसा लगता है। बनारस में वैसे ह

05 अक्तूबर 2024

ईमानदार CA से मेल एस्कॉर्ट तक का सफ़र

ईमानदार CA से मेल एस्कॉर्ट तक का सफ़र

संघर्ष, विद्रोह और समाजवाद की सिनेमाई यात्रा : नेटफ़्लिक्स सीरीज़ त्रिभुवन मिश्रा सीए टॉपर आधुनिक भारतीय मनोरंजन की भीड़-भाड़ में, नेटफ़्लिक्स की सीए टॉपर एक ऐसी सिनेमाई रचना के रूप में उभरती है,

29 सितम्बर 2024

एंग्री यंग मैन : सलीम-जावेद की ज़िंदगी के अनछुए अध्याय

एंग्री यंग मैन : सलीम-जावेद की ज़िंदगी के अनछुए अध्याय

नम्रता राव द्वारा निर्देशित अमेज़न प्राइम डाक्यूमेंट्री सीरीज़ ‘एंग्री यंग मैन’ मशहूर पटकथा लेखक जोड़ी—सलीम ख़ान और जावेद अख़्तर के जीवन की एक खोज है, जिनके सहयोग ने 1970 और 80 के दशक में हिंदी-सिनेम

22 सितम्बर 2024

सेक्टर 36 : शहरों की नहीं दिखने वाली ख़ौफ़-भरी घटनाओं का रियलिस्टिक थ्रिलर

22 सितम्बर 2024

सेक्टर 36 : शहरों की नहीं दिखने वाली ख़ौफ़-भरी घटनाओं का रियलिस्टिक थ्रिलर

कभी-कभी सिनेमा देखने वालों को भी तलब होती है कि ऐसा कोई सिनेमा देखें जो उनके भीतर पनप रहे कोलाहल या एंग्जायटी को ऐसी ख़ुराक दे जिससे उनके दिल-ओ-दिमाग़ को एक शॉक ट्रीटमेंट मिले और वह कुछ ज़रूरी मानवीय मू

15 सितम्बर 2024

क़ुबूलनामा : एक एंबुलेंस ड्राइवर का

क़ुबूलनामा : एक एंबुलेंस ड्राइवर का

डिस्क्लेमर :  क़ुबूलनामा शृंखला में प्रस्तुत लेखों में वर्णित सभी पात्र, कहानियाँ, घटनाएँ और स्थान काल्पनिक हैं; जो किसी भी व्यक्ति, समूह, समाज, सरकारी-ग़ैरसरकारी संगठन और अधिकारियों से कोई संबंध न

08 अगस्त 2024

सिद्धेश्वरी : मौन और ध्वनि की एक सिम्फ़नी

सिद्धेश्वरी : मौन और ध्वनि की एक सिम्फ़नी

मणि कौल की फ़िल्म ‘सिद्धेश्वरी’ 1989 में बनी एक डॉक्यूमेंट्री है, जो प्रसिद्ध हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिका सिद्धेश्वरी देवी के जीवन और कला पर आधारित है। सिद्धेश्वरी देवी भारतीय शास्त्रीय संगीत की एक म

19 जुलाई 2024

क़ुबूलनामा : एक ड्रग पैडलर का

क़ुबूलनामा : एक ड्रग पैडलर का

डिस्क्लेमर :  यहाँ प्रस्तुत लेख में वर्णित सभी पात्र, कहानियाँ, घटनाएँ और स्थान काल्पनिक हैं; जो किसी भी व्यक्ति, समूह, समाज, सरकारी-ग़ैरसरकारी संगठन और अधिकारियों से कोई संबंध नहीं रखते हैं। यह ल

13 जुलाई 2024

सत्यजीत रे और उनके स्वाद का संसार

सत्यजीत रे और उनके स्वाद का संसार

सत्यजीत रे की सबसे उल्लेखनीय आदतों में से एक—भोजन की संस्कृति पर उनका विशेष ध्यान था। रे को भोजन, विशेष रूप से बंगाली व्यंजनों के प्रति उनके प्यार के लिए भी जाना जाता था।  वह बढ़िया भोजन के पारखी

16 जून 2024

क्या विरासत में मिलती है लेखनी?

क्या विरासत में मिलती है लेखनी?

ज़्यादा न लिखो। अपने पात्रों को अपनी कहानी बताने दो और इस पूरे काम में दख़ल मत दो। अपने पाठक को पहले ही पृष्ठ से यूँ बाँध लो कि वे कथा से ख़ुद को दूर न रख पाएँ। अगर लिखने की ज़रूरत समझ आए तो इसे फिर से

26 मई 2024

ख़ुशियों का एरोडायनामिक्स : काग़ज़ के हवाई जहाज़

ख़ुशियों का एरोडायनामिक्स : काग़ज़ के हवाई जहाज़

हर साल 26 मई को पार्कों, खेत-खलिहानों और कक्षाओं में एक अजीब-ओ-ग़रीब लेकिन बेहद रोमांचक दृश्य देखने को मिलता है : आसमान रंग-बिरंगे और सफ़ेद रंग के काग़ज़ के हवाई जहाज़ों से भर जाता है। नेशनल पेपर एयरप्लेन

25 अप्रैल 2024

नाऊन चाची जो ग़ायब हो गईं

नाऊन चाची जो ग़ायब हो गईं

वह सावन की कोई दुपहरी थी। मैं अपने पैतृक आवास की छत पर चाय का प्याला थामे सड़क पर आते-जाते लोगों और गाड़ियों के कोलाहल को देख रही थी। मैं सोच ही रही थी कि बहुत दिन हो गए, नाऊन चाची की कोई खोज-ख़बर नहीं

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जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

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