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गिफ़्टेड : एक जीनियस बच्ची के बचपन को बचाने की कहानी

अपनी माँ की भाषा में कहूँ तो गिफ़्टेड एक मामा और भांजी के एक आत्मीय रिश्ते पर आधारित एक फ़िल्म है। मामा यानी माँ का भाई, गिफ़्टेड देखते हुए मुझे अपने मामा की याद बरबस ही आती रही कि कैसे उन्होंने हम भांजियों और भांजों के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी निभाई है। वह प्यार दिया है, जिसमें माँ की झलक दिखाई देती है। वह डाँट लगाई है जो ज़रूरत पड़ने पर माँ हमें लगाया करती है। मामा ने वही उत्साहवर्धन किया है, जो माँ करती आई है और शादी के बाद विदाई में मामा उसी तरह फफक कर रो पड़े हैं जैसे माँ रोई है।

यह कुछ उदास करने वाली बात है कि हमारे देश में मामा के किरदार को फ़िल्मों में हमेशा से एक हास्यास्पद और क्रूर छवि मिली है, लेकिन दुनिया में अगर कहीं भी कुछ ऐसा है जो हमें जीवन के प्रति और सजग बना रहा है तो यह अच्छी बात है। गिफ़्टेड (2017) एक ऐसी फ़िल्म है जो हमें संवेदनाओं के सागर में धीरे-धीरे डुबोती है और हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि ज़िंदगी के असल मायने क्या हैं? 

गिफ़्टेड का निर्देशन मार्क वेब ने किया है और इसमें मुख्य किरदार निभाया है क्रिस इवांस ने—जो अपने सुपरहीरो अवतार के लिए मशहूर हैं। इस फ़िल्म में वह बिल्कुल नए अंदाज़ में नज़र आए हैं। यह फ़िल्म एक असाधारण प्रतिभाशाली बच्ची की परवरिश, उसके परिवार और प्यार की जटिलताओं की कहानी है, जिसमें कई भावनात्मक मोड़ हैं।

फ़िल्म की कहानी फ़्लोरिडा के एक छोटे से टाउन में रहने वाले फ़्रैंक एडलर (क्रिस इवांस) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी सात साल की भांजी मैरी (मकेना ग्रेस) की देखभाल करता है। मैरी अद्वितीय गणितीय प्रतिभा की धनी है, लेकिन फ़्रैंक उसे आम बच्चों जैसा जीवन देने का सपना देखता है। वह उसे किसी बड़े स्कूल में भेजने की बजाय पब्लिक स्कूल में दाख़िला दिलाता है, ताकि वह एक आम बच्ची की तरह अपना बचपन जी सके।

जब फ़्रैंक और मैरी एक सुंदर और शांत जीवन जी रहे होते हैं, तभी फ़्रैंक की माँ एवलिन (लिंडसे डंकन) उनकी ज़िंदगी में वापस आती हैं। एवलिन का मानना है कि मैरी की विलक्षण प्रतिभा पर एकाग्र होकर ध्यान देना चाहिए। वह चाहती हैं कि मैरी को अकादमिक ऊँचाइयों तक पहुँचने के लिए प्रेरित किया जाए, जिससे उसकी कस्टडी को लेकर फ़्रैंक और एवलिन के बीच कानूनी जंग छिड़ जाती है। यहीं से कहानी में एक ऐसा भावनात्मक संघर्ष पैदा होता है, जो फ़िल्म को और गहराई देता है।

फ़िल्म का यह हिस्सा किरदारों और रियल दुनिया दोनों से ही जुड़े एक बेहद ज़रूरी सवाल को दर्शकों के सामने ला खड़ा करता है कि क्या मैरी की प्रतिभा को निखारना और दुनिया के सामने लाना ज़रूरी है या उसे सामान्य बच्चों की ही तरह जीवन जीने देना कहीं ज़्यादा महत्त्वपूर्ण और संवेदनशील बात है?

मैरी जैसी नन्ही बच्ची, जो गणित की जटिल समस्याएँ आसानी से हल कर लेती है, क्या उसके पास यह अधिकार नहीं कि वह आम बच्चों की तरह दोस्त बनाए, अपने सुनहरे बचपन को जिए? एक तरफ़ फ़्रैंक है, जो चाहता है कि मैरी को प्यार और भावनात्मक स्थिरता मिले, तो दूसरी तरफ़ एवलिन है, जो मानती है कि मैरी की प्रतिभा को बर्बाद नहीं करना चाहिए।

फ़िल्म में एवलिन का किरदार महत्वाकांक्षा का प्रतीक है। उसकी सोच है कि एक व्यक्ति का असली मक़सद समाज में उच्च स्थान प्राप्त करना होना चाहिए, चाहे उसके लिए निजी सुख का त्याग ही क्यों न करना पड़े। एवलिन का अतीत भी कुछ ऐसा ही है; उसने अपनी बेटी यानी मैरी की माँ पर इतना दबाव डाला कि वह मानसिक रूप से टूट गई और अंततः उसने आत्महत्या कर ली। 

यह अतीत एवलिन के किरदार को और भी जटिल बनाता है। वह महज़ एक खलनायिका नहीं है; वह एक माँ भी है, जो अपनी ग़लतियों से सीखने की कोशिश कर रही है, लेकिन शायद वह समझ नहीं पा रही कि सफलता की चाहत एक बच्चे की मासूमियत के लिए कितनी घातक हो सकती है। कहीं-न-कहीं हमारी ज़िंदगियों में भी ख़ुद के माँ पिता भी एलविन के किरदार के रूप में हमारे सामने आते हैं, जिनके साथ जीवन आगे बढ़ता तो है लेकिन कुछ सुंदर और ज़रूरी पीछे छूटता चला जाता है।

फ़िल्म में मेरा पसंदीदा किरदार फ़्रैंक का है। फ़्रैंक का किरदार संतुलन का प्रतीक है। वह मैरी को एक असाधारण गणितज्ञ बनते देखने की बजाय उसे एक आम और ख़ुशहाल बच्ची के रूप में देखना चाहता है। फ़्रैंक ने अपनी बहन के जीवन पर अत्यधिक दबाव का असर देखा है और वह उस ग़लती को दोहराना नहीं चाहता। इस तरह फ़्रैंक और एवलिन के बीच का मतभेद, दो पीढ़ियों की सोच को भी उजागर करता है। यह हमें सोचने पर मजबूर करता है कि असल मायने में सफ़लता क्या है—क्या यह केवल समाज में ऊँचा स्थान पाना है या निजी ख़ुशियाँ और भावनात्मक स्थिरता?

अभिनय की बात करें, तो क्रिस इवांस और मकेना ग्रेस ने अपने किरदारों में जान डाल दी है। क्रिस, जिन्हें हम अधिकतर आत्मविश्वासी और ताक़तवर सुपरहीरो अवतार में देखते हैं, यहाँ एक संवेदनशील और ज़िम्मेदार व्यक्ति के रूप में दिखाई देते हैं। फ़्रैंक कोई परफ़ैक्ट इंसान नहीं है; वह बस अपनी भतीजी के लिए सही फैसले लेने की कोशिश कर रहा है। वह नहीं जानता कि जो कर रहा है वह ठीक है या नहीं। वहीं, मकेना ग्रेस ने मैरी का किरदार बख़ूबी निभाया है। वह बुद्धिमान और संवेदनशील है, फिर भी एक बच्ची जैसी सरलता रखती है।

निर्देशक मार्क वेब ने फ़िल्म को संवेदनशीलता के साथ पेश किया है। फ़िल्म की कहानी में ऐसे दृश्य हैं, जो बिना किसी भव्यता के अपनी गहराई में डूबे हैं। मुझे याद आ रहा है वह दृश्य जब मैरी पहली बार अपने स्कूल में गणित की एक कठिन समस्या का हल करती है, तो उसके शिक्षक और सहपाठी दंग रह जाते हैं। यह दृश्य दिखाता है कि मैरी कितनी असाधारण है, लेकिन जब वह ख़ुद को बाक़ी बच्चों से अलग पाती है, तो उसे अकेलापन महसूस होता है। उस पल में, मैरी का चेहरा उसकी निराशा और बेचैनी को दर्शाता है, और हम पाते हैं कि उसकी प्रतिभा उसके लिए अकेलेपन और समाज से अलगाव का कारण भी बन रही है।

वह दृश्य जिसे याद कर बार-बार मेरी आँखें डबडबा जाती हैं—फ़्रैंक का मैरी को अलविदा कहने का दृश्य है। जब कोर्ट का फैसला एवलिन के पक्ष में जाता है और मैरी को अपने दादा-दादी के साथ जाना पड़ता है। फ़्रैंक और मैरी का अलविदा कहना—यह बयाँ के परे एक दर्द है। फ़्रैंक की आँखों में आँसू और मैरी की असहायता को देखना बहुत ही भावुक कर देने वाला एक असहाय दृश्य है।

इस फ़िल्म में एक और महत्त्वपूर्ण बिंदु यह है कि महिलाओं और लड़कियों पर, ख़ासकर गणित और विज्ञान जैसे क्षेत्रों में, कितनी उम्मीदों का बोझ डाल दिया जाता है। मैरी भी एक ऐसे क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल कर रही है, जिसे पुरुष प्रधान समझा जाता है। फ़िल्म इस मुद्दे को भी बहुत ही सहजता से सामने लाती है। 

गिफ़्टेड एक ख़ूबसूरत फ़िल्म है जो परिवार, प्यार और बच्चों की परवरिश से जुड़े मुश्किल सवालों को उठाती है। इसके पात्रों का सजीव अभिनय और इसकी कहानी हमारे दिलों को गहराई से छूती है। यह हमें याद दिलाती है कि जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण चीज़ें प्यार, ख़ुशी, और इंसानी जुड़ाव हैं और यह हमें सोचने पर मजबूर करती है कि असल में हम ज़िंदगी को किस नज़र से देखते हैं।

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