बाज़ार पर कविताएँ
सामान्य अर्थ में बाज़ार
वह स्थान है जहाँ वस्तुओं का क्रय-विक्रय संपन्न होता है। विशिष्ट अर्थों में यह कभी जगत का पर्याय हो जाता है तो आधुनिक पूँजीवादी संकल्पनाओं में लोक के आर्थिक सामर्थ्य की सीमितता का सूचक। प्रस्तुत चयन में विभिन्न अर्थों और प्रसंगों में बाज़ार का संदर्भ लेती कविताओं का संकलन किया गया है।
संबंधित विषय
- अवसाद
- आँख
- आत्मा
- इच्छा
- इतिहास
- उम्मीद
- ओड़िया कविता
- क्रांति
- कवि
- ग़रीबी
- गाँव
- घर
- चीज़ें
- चोर
- जीवन
- डर
- दुख
- देह
- दीपावली
- नदी
- निंदा
- नींद
- नौकरी
- पूँजी
- पेट्रोला
- पत्र
- प्रकृति
- प्रतिरोध
- प्रेम
- प्रार्थना
- पुस्तक
- पिता
- फ़ोन
- बच्चे
- बाज़ार
- बाल साहित्य
- भविष्य
- माँ
- लंबी कविता
- लोक
- लोकतंत्र
- व्यंग्य
- वेश्या
- विद्रोह
- विस्थापन
- शहर
- शिकायत
- संघर्ष
- सृजन
- स्त्री
- संबंध
- समझौता
- स्मृति
- समय
- स्वप्न
- संसार
- हिंसा