Font by Mehr Nastaliq Web

फ़ोन पर कविताएँ

फ़ोन आधुनिक जीवनशैली

का अभिन्न अंग बन चुका है और इसलिए आश्चर्यजनक नहीं कि उनसे जुड़े संदर्भ कविताओं के भी विषय बन रहे हैं। प्रस्तुत चयन ऐसी ही कुछ रचनाओं से किया गया है।

पुरुषत्व एक उम्मीद

पंकज चतुर्वेदी

यह नंबर मौजूद नहीं

मंगलेश डबराल

फ़्रीक्वेंसी

संजीव गुप्त

मोबाइल

मंगलेश डबराल

आवाज़ कट रही है

सिद्धेश्वर सिंह

सेल्फ़ी

प्रज्ञा सिंह

सेल्फ़ी

ऋतेश कुमार

फ़ोन

अवधेश कुमार

मोबाइल

गोविंद माथुर

जिसे चाहती हो तुम छुपाना

महेश चंद्र पुनेठा

भारत संचार निगम लिमिटेड

अष्टभुजा शुक्‍ल

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

टिकट ख़रीदिए