बाज़ार पर काव्य खंड
सामान्य अर्थ में बाज़ार
वह स्थान है जहाँ वस्तुओं का क्रय-विक्रय संपन्न होता है। विशिष्ट अर्थों में यह कभी जगत का पर्याय हो जाता है तो आधुनिक पूँजीवादी संकल्पनाओं में लोक के आर्थिक सामर्थ्य की सीमितता का सूचक। प्रस्तुत चयन में विभिन्न अर्थों और प्रसंगों में बाज़ार का संदर्भ लेती कविताओं का संकलन किया गया है।