
लोगों को चाहिए शैतान जिस पर वे विश्वास कर सकें—एक सच्चा, भयानक दुश्मन। एक शैतान जिसके वे ख़िलाफ़ हो सकें। नहीं तो, सब कुछ हम-बनाम-हम है।

उसे औरत के रूप में पैदा होने के ख़िलाफ़ विद्रोह करना उतना ही मूर्खतापूर्ण लगा जितना कि उस पर गर्व करना।


जैसे-जैसे हमारी आँखें देखने की आदी हो जाती हैं, वे ख़ुद को आश्चर्य के विरुद्ध ढाल लेती हैं।

जो लोग स्वभाव से ही दुष्ट होते हैं उनका ज्ञान भी विरुद्ध ही होता है।
