Font by Mehr Nastaliq Web
Nishant Kaushik's Photo'

निशांत कौशिक

1991 | जबलपुर, मध्य प्रदेश

सुपरिचित कवि-लेखक और अनुवादक। जामिया मिल्लिया इस्लामिया से तुर्की भाषा में स्नातक। तुर्की से अनुवाद में अदीब जानसेवेर, जमाल सुरैया, तुर्गुत उयार, बेजान मातुर और अन्य कई महत्त्वपूर्ण रचनाकारों की रचनाएँ समय-समय पर प्रकाशित।

सुपरिचित कवि-लेखक और अनुवादक। जामिया मिल्लिया इस्लामिया से तुर्की भाषा में स्नातक। तुर्की से अनुवाद में अदीब जानसेवेर, जमाल सुरैया, तुर्गुत उयार, बेजान मातुर और अन्य कई महत्त्वपूर्ण रचनाकारों की रचनाएँ समय-समय पर प्रकाशित।

निशांत कौशिक के बेला

13 सितम्बर 2024

काफ़्का, नैयर मसूद और अब्सर्डिटी

काफ़्का, नैयर मसूद और अब्सर्डिटी

कहानी में बंदूक़ नैयर मसूद की कहानियों से मेरा परिचय लगभग साल भर पहले हुआ। लखनऊ विश्वविद्यालय में फ़ारसी पढ़ाने वाले एक लघुकथा लेखक, जिन्होंने काफ़्का का अनुवाद किया था, जिसके पास अनीस और मर्सियाख़्

02 अगस्त 2024

दिल्ली नायकों की आस में जीती है और उन्हीं की सताई हुई है

दिल्ली नायकों की आस में जीती है और उन्हीं की सताई हुई है

जिस तरह निर्मल वर्मा की सभी कृतियाँ बार-बार ‘वे दिन’ हो जाती हैं, कुछ उसी तरह मुझे भी इलाहाबाद के वे दिन याद आते हैं। — ज्ञानरंजन एक ...और मुझे दिल्ली के ‘वे दिन’ याद आते हैं, और बेतरतीब याद

12 जुलाई 2024

लिखना, सुई से कुआँ खोदना है

लिखना, सुई से कुआँ खोदना है

मेरे लिए, एक लेखक होने का मतलब है किसी व्यक्ति के अंदर छिपे दूसरे व्यक्ति की खोज करना; और उस दुनिया की भी जो वर्षों तक धैर्यपूर्वक काम करके उस व्यक्ति को बनाती है। जब मैं लेखन की बात करता हूँ, तो

28 जून 2024

विपश्यना जहाँ आँखें बंद करते ही एक संसार खुलता है

विपश्यना जहाँ आँखें बंद करते ही एक संसार खुलता है

एक Attention is the new Oil अरबों-करोड़ों रुपए इस बात पर ख़र्च किए जाते हैं कि हमारे ध्यान का कैसे एक टुकड़ा छीन लिया जाए। सारा बाज़ार, ख़ासकर वर्चुअल संसार दर्शक (पढ़ें : ग्राहक) के इस ध्यान को भटका

14 जून 2024

Quotation न होते तब हम क्या करते!

Quotation न होते तब हम क्या करते!

एक “गोयम मुश्किल वगरना गोयम मुश्किल” हम रहस्य की नाभि पर हर रोज़ तीर मार रहे हैं। हम अनंत से खिलवाड़ करके थक गए हैं। हम उत्तरों से घिरे हुए हैं और अब उनसे ऊबे हुए भी। हमारी जुगतें और अटकलें भी एक

31 मई 2024

किताब उसकी है जिसने उसे पढ़ा, उसकी नहीं जिसके किताबघर में सजी है

किताब उसकी है जिसने उसे पढ़ा, उसकी नहीं जिसके किताबघर में सजी है

एक  हर किताब अपने समझे जाने को एक दूसरी किताब में बताती है। —वागीश शुक्ल, ‘छंद छंद पर कुमकुम’ जब बाज़ार आपको, आपका निवाला भी चबा कर दे रहा है; तब क्या पढ़ें और किसको पढ़ें? एक अच्छा सवाल है। को

17 मई 2024

सोडा, बन-मस्का और वाल्टर बेन्यामिन

सोडा, बन-मस्का और वाल्टर बेन्यामिन

सोडा और बन-मस्का  पुणे के कैंप इलाक़े में साशापीर रोड पर एक कम प्रचलित शरबतवाला चौक है। शरबत अरबी शब्द है, शराब भी इसी से निकला है। शरबतवाला चौक पर 1884 में फ़्लेवर्ड सोडा कंपनी की शुरुआत हुई। पुणे

Recitation

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

पास यहाँ से प्राप्त कीजिए