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मनोविज्ञान पर उद्धरण

मेरा मनोविज्ञान सभी का है।

अल्फ़्रेड एडलर

मनोविश्लेषण में एक भी विचार गौण नहीं है, उन विचारों के नगण्य होने का दिखावा इसलिए किया जाता है ताकि उन्हें बताया जाए।

शुलामिथ फ़ायरस्टोन

कलाकार अंतर में उत्थित उन तत्त्वों को ही प्रधानता देता है, जो उसे महत्त्वपूर्ण प्रतीत होते है। यह महत्त्व-भावना केवल सब्जैक्टिव नहीं है, यह महत्त्व-भावना उस वर्ग की मनोवैज्ञानिक स्थिति के आधार पर खड़ी हुई मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं के अनुसार बनती है।

गजानन माधव मुक्तिबोध

मनोवैज्ञानिक अध्ययन की दृष्टि से जेल को अत्यंत उपयुक्त परीक्षण-शाला कह सकते है। वहाँ कोई व्यक्ति देर तक मुँह पर नक़ाब नहीं रख सकता। जल्दी या देर में उसका असली रूप प्रकट हो ही जाता है जेल में मनुष्य के आंतरिक गुण और अवगुण सात परदों को फाड़कर बाहर निकल आते हैं।

इंद्र विद्यावाचस्पति

मनुष्य की मानसिक मनोवैज्ञानिक स्वार्थ-बुद्धि, ऊँचे आदर्शों को आगे करके उनके झंडे के नीचे काम करती है।

गजानन माधव मुक्तिबोध

अगर बलात्कार को सती-च्युत होना मान कर हिंसा माना जाए तो अन्य हिंसा के शिकार की तरह, बलात्कृत स्त्री में आक्रोश या रोष तो होगा पर अपराधबोध नहीं। हालाँकि मनोवैज्ञानिक दृष्टि से पड़ताल करने पर हमें मानना पड़ता है कि, बलात्कार की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि उस पर कोई एकांगी तर्क लागू नहीं किया जा सकता।

मृदुला गर्ग

वाल्मीकि ने समूह के मनोविज्ञान के संदर्भ में, समूह के भीतर तथा समूह के पृथक—इन दोनों स्तरों पर व्यक्ति की मनोदशाओं का बहुत बारीकी से उद्घाटन किया है।

राधावल्लभ त्रिपाठी

सवाल उठता है कि यह कौन तय करेगा कि सामान्य क्या है? सरकार ? समाज? क़ानून? मनोविश्लेषक? या हमें मानना होगा कि असामान्य और सामान्य को अलग करने वाला फ़ासला, बहुत धूमिल और लचीला है। यह सवाल साहित्य को जितना आड़े लेता है उतना ही मनोविज्ञान के सिद्धाँतों को।

मृदुला गर्ग