तृष्णा पर कविताएँ

तृष्णा अप्राप्त की प्राप्ति

की तीव्र इच्छा का भाव है। एक प्रबल मनोभाव के रूप में विभिन्न विषय-प्रसंगों में तृष्णा का रूपक नैसर्गिक रूप से अभिव्यक्त होता रहा है। यहाँ इस चयन में तृष्णा, तृषा, प्यास, पिपासा, कामना की पूर्ति-अपूर्ति के संदर्भ रचती कविताओं का संकलन किया गया है।

उगाए जाते रहे शहर

राही डूमरचीर

संघर्ष

सारुल बागला

विस्मृति

मनमोहन

इस मौसम में

सारुल बागला

तृप्ति

संध्या चौरसिया

प्यास नहीं जब बुझी

कृष्ण मुरारी पहारिया

जब तक मुझे प्यास है

अमिताभ चौधरी

अग्निसंभवा

ज्योति रीता

मस्तराम

आयुष झा

जल

श्रुति गौतम

जाति बड़ी या प्यास

धीरेंद्र 'धवल'

अभीप्सा

वीरेंद्र कुमार जैन

नए अर्थ की प्यास में

भवानीप्रसाद मिश्र

स्त्री सच है

सविता सिंह

अभी सृजन की प्यास शेष है

कृष्ण मुरारी पहारिया

एक दिन

ममता बारहठ

कुंठाएँ, पिपासा और बारिश

जगदीश चतुर्वेदी

वह प्यासा है

राजकुमार

समर्पण

अहर्निश सागर

पानी की बात

शंकरानंद

स्वप्न और प्यास

सविता सिंह

मेरी घटनाएँ

शैलेंद्र दुबे

प्यासा जल

चंद्रकुमार

प्यास का मज़हब

आदित्य रहबर

अनबुझी प्यास

मदनलाल डागा

स्त्री

नरेंद्र जैन

अज्ञात

सुमित्राकुमारी सिन्हा

मृगजल ही सही

पद्मजा घोरपड़े

प्यास

मेधा

काँच के उस तरफ़

दिलीप शाक्य

मृगतृष्णा

कृतिका किरण

प्यास

विजया सिंह

रिक्तता

राघवेंद्र शुक्ल

मृग-मरीचिका

दीपक जायसवाल

मुझे प्यास थी

पूनम अरोड़ा

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