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टेलीविज़न पर बड़े कॉर्पोरेट विज्ञापनदाता शायद ही कभी ऐसे कार्यक्रमों को प्रायोजित करते हैं जो कॉर्पोरेट गतिविधियों की गंभीर आलोचनाओं में संलग्न होते हैं, फिर चाहे पर्यावरण के स्तर में गिरावट की समस्या हो, चाहे सेना या औद्योगिक क्षेत्र के कामकाज के तरीक़े पर कोई बात कर रहा हो या कोई, तीसरी दुनिया में होने वाले तानाशाही रवैये के कॉर्पोरेट समर्थन और उनके द्वारा उठाए जाने वाले लाभ पर बात करे।