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अचेतन पर उद्धरण

किसी के शब्दों की लय में झूलना एक सुखद, लेकिन अचेतन निर्भरता हो सकती है।

रघुवीर चौधरी

चैतन्य को जड़शक्ति का औद्धत्य लील जाने को व्याकुल है।

कृष्ण बिहारी मिश्र

जो जीवन को पाना चाहता है, उसे अपनी निद्रा और मूर्च्छा छोड़नी होगी।

ओशो

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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