
किसी के शब्दों की लय में झूलना एक सुखद, लेकिन अचेतन निर्भरता हो सकती है।


चैतन्य को जड़शक्ति का औद्धत्य लील जाने को व्याकुल है।

अचेतन उतना ही तुच्छ और बेतुका है जितना कि चेतन।
किसी के शब्दों की लय में झूलना एक सुखद, लेकिन अचेतन निर्भरता हो सकती है।
चैतन्य को जड़शक्ति का औद्धत्य लील जाने को व्याकुल है।
अचेतन उतना ही तुच्छ और बेतुका है जितना कि चेतन।