युग-बोध, राष्ट्र-निर्माण और महिला-लेखिकाओं का दायित्व
हम सभी सरस्वती के मंदिर के पुजारी हैं, देवता का महत्त्व ही हमारी आस्था को महत्त्व देता है। हमारा अभिनंदन-वंदन वस्तुतः एक ही गंतव्य की ओर जाने वाले पथिकों का परस्पर कुशल-क्षेम पूछना है। मार्ग में चलते हुए जैसे पूछ लेते हैं—तुम्हारा संबंध तो नहीं समाप्त
महादेवी वर्मा
हिंदी-साहित्य और मुसलमान कवि
सभी देशों के इतिहास में भिन्न जातियों के पारस्परिक संघर्षण के उदाहरण मिलते हैं। उनसे यही सिद्ध होता है कि ऐसे ही संघर्षण से सभ्यता का विकास होता है। भिन्न-भिन्न देशों में भिन्न-भिन्न अवस्था के कारण विभिन्न जातियों के विभिन्न आदर्श होते हैं। जब एक जाति
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी
भारतेंदु हरिश्चंद्र (बाबू श्यामसुंदर दास)
संवत् 1657 में इंग्लैंड में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई और उसे भारतवर्ष से व्यापार-संबंध स्थापित करने का एकाधिकार दिया गया। बारह वर्ष तक उद्योग में लगे रहने के अनतर संवत् 1666 में इस कंपनी का पहला कारख़ाना सूरत में खुला। इस साधारण घटना से ब्रिटिश
श्यामसुंदर दास
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