प्रेमचंदजी के साथ दो दिन
“आप आ रहे हैं, बड़ी ख़ुशी हुई। अवश्य आइए। आपसे न जाने कितनी बातें करनी है।
मेरे मकान का पता है—
बेनिया-बाग़ में तालाब के किनारे लाल मकान। किसी इक्केवाले से कहिए, वह आपको बेनया-पार्क पहुँचा देगा। पार्क में एक तालाब है। जो अब सूख रहा है। उसी के किनारे