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इच्छा पर कविताएँ

कलंकिनी

श्रुति कुशवाहा

हम और वे

दीप्ति कुशवाह

ख़्वाहिश

ममता जयंत

इच्छा किंचित् भी न रही अब...

ज्ञानराज माणिकप्रभु

आ रही लज्जा मुझे...

ज्ञानराज माणिकप्रभु