हरि कार्की के बेला
बुद्ध की बुद्ध होने की यात्रा को कैसे अनुभव करें?
“हम तुम्हें न्योत रहे हैं बुद्ध, हमारे आँगन आ सकोगे…” गौतम बुद्ध को थोड़ा और जानने की एक इच्छा हमेशा रहती है। यह इच्छा तब और पुष्ट होती है, जब असमानता और अन्याय आस-पास दिखता और हम या हमारे लोग उ
एक रोज़ हम लौट आना चाहते हैं
मई 2024 तुमने कहा—जाती हूँ और तुमने सोचा कवि केदार की तरह मैं कहूँगा—जाओ लेकिन मेरी लोकभाषा के पास अपने बिंब थे मेरी लोकभाषा में कोई कहीं जाता था ‘तो आता हूँ’ कहकर शेष बच जाता था