बुद्ध की बुद्ध होने की यात्रा को कैसे अनुभव करें?

“हम तुम्हें न्योत रहे हैं 
बुद्ध, हमारे आँगन आ सकोगे…”

गौतम बुद्ध को थोड़ा और जानने की एक इच्छा हमेशा रहती है। यह इच्छा तब और पुष्ट होती है, जब असमानता और अन्याय आस-पास दिखता और हम या हमारे लोग उसे अनुभव करते हैं। तब महसूस होता है कि कैसे केवल हम नहीं दुनिया में अनगिनत लोग इस तरह की हिंसाएँ लगातार झेल रहे हैं। मैं बार-बार यह समझने की कोशिश करता हूँ कि बुद्ध का समय और हमारा समय कितना अलग रहा होगा? बुद्ध हमारे समय में होते तो कैसे हमारे समय से लड़ते और उसे बेहतर करते? हमारे समय की जटिलताएँ—आर्थिक विषमता : मुफ़्त राशन की लंबी क़तारों को देखिए... सामाजिक असमानता : एक तबके को घूरा जाता है और उसे कहना पड़ता है इसी देश का हूँ... अन्याय : आपने ग़लती की है, एक निंबध लिखना पड़ेगा... जलवायु परिवर्तन : एसी फिर हुए सस्ते... तनाव और चिंता : तुम सोशल मीडिया में लोगों से क्यों नहीं कनेक्ट करके देखते... अकेलापन और अलगाव : घर जाने का मन होता है... मैनेजर को दो महीने पहले इन्फ़ॉर्म करना पड़ता है... डिजिटल लत : परेशान मत हो, जाओ एक स्टैंड-अप देख लो... झूठी ख़बर : विकास कार्यों में तेज़ी... अविश्वास : कोरोना वैक्सीन—देखकर बुद्ध को हमारे समय के बारे में क्या महसूस होता? 

बुद्ध तमाम सवालों के जवाब देते हैं। वह कष्ट और आपदाओं को हल करते दिखते हैं या हमें उनसे लड़ने का साहस देते हैं। वह हमें दैनिक जीवन के लिए एक दृष्टि देते हैं। वह दुःख में निहित दार्शनिक अर्थ को समझने का अवसर देते हैं। बुद्ध की शिक्षाओं का कालातीत ज्ञान सभी संस्कृतियों और युगों में प्रासंगिक है। 

ऐसे में कैसे पुकारा जाए बुद्ध को? आज उनको समझने के लिए क्या किया जाए? बुद्ध की बुद्ध होने की यात्रा को कैसे अनुभव करें? बुद्ध की शिक्षाओं को अभ्यास में कैसे लाएँ, जिससे जीवन में शांति आए और समय समृद्ध हो?

इसका जवाब एकदम सरल है। बुद्ध को पढ़ा जाना चाहिए—सबसे बेहतर और सुलभ रास्ता यही है। उन्हें पढ़ते हुए ही समझा जा सकता है कि क्यों दुनिया में दो तरह के राजा हुए। 

पहले—

“मिस्र के फराओ 
अपने ऐश्वर्य को बनाए रखने के लिए 
मृत्यु के बाद की 
दुनिया के लिए भी 
सोना-चाँदी अपनी क़ब्रों में साथ ले गए 
दफ़नाए गए हज़ारों-हज़ार ग़ुलाम 
जीते-जी…” 

और दूसरे—

“कपिलवस्तु में भी एक राजा का राजपाट था 
इक रोज़ अकूत धन, राजपाट बीच जवानी में छोड़ 
वह साधु हो गया 
बरसों-बरस भूखा-प्यासा भटकता रहा 
इस आस में कि 
दुनिया के लिए वह इक रोज़ 
मुक्ति का रास्ता खोज निकालेगा”

यहाँ हम बता रहे हैं बुद्ध, उनके जीवन और उनकी शिक्षाओं से जुड़ी चार ज़रूरी किताबें। ये किताबें हिंदी और अँग्रेज़ी दोनों में उपलब्ध हैं :

एक

जहं जहं चरण परे गौतम के 
लेखक : तिक न्यात हन्ह 
प्रकाशक : हिंद पॉकेट बुक्स

‘जहं जहं चरण परे गौतम के’ Thich Nhat Hanh की विश्वप्रसिद्ध पुस्तक Old Paths White Clouds का अनुवाद है। इस किताब को महात्मा बुद्ध की प्रामाणिक जीवनी की तरह भी पेश किया जाता है। किताब में बताया गया है कि लेखक ने इस जीवनी को सालों के गहन अनुसंधान के बाद लिखा है। लेखक उन सभी जगह गए, जहाँ महात्मा बुद्ध गए थे। 

‘जहं जहं चरण परे गौतम के’ बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं में गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। पाठक को समृद्ध करती है। तिक न्यात हन्ह की यह पुस्तक बौद्ध धर्म के प्राचीन ज्ञान को सामने लाती है, जिससे यह आधुनिक पाठकों के लिए और भी अधिक प्रासंगिक हो जाती है।

तिक न्यात हन्ह वियतनाम के मशहूर बौद्ध विचारक, आध्यात्मिक गुरु और लेखक हैं, जिन्हें दुनिया भर के पुस्तक-प्रेमी पढ़ते और सराहते हैं। हिंदी में भी बड़ी संख्या में इनके पाठक हैं। 

दो

सिद्धार्थ 
लेखक : हरमन हेस
अनुवाद : नीलाभ
प्रकाशक : राजपाल एंड संज़

दूसरी किताब लेखक Hermann Hesse के उपन्यास Siddhartha का हिंदी अनुवाद है। यह उपन्यास बुद्ध के समय में सिद्धार्थ नामक व्यक्ति की आध्यात्मिक यात्रा पर आधारित है। उपन्यास दो हिस्सों में विभाजित है, पहले भाग में सिद्धार्थ की ज्ञानोदय की यात्रा के महत्त्वपूर्ण हिस्सों को उजागर करता है और दूसरा भाग उसके सांसारिक जीवन के बारे में बात करता है। 

हेस की यह किताब आध्यात्मिकता, आत्म-खोज और आंतरिक शांति की खोज से जुड़े ज़रूरी विषयों के बारे में है। 1922 में प्रकाशित इस उपन्यास को हरमन हेस की बेहतरीन कृतियों में से एक माना जाता है। इसे हेस का मौलिक काम माना जाता है, जो जीवन में अर्थ और ज्ञान खोजने के बारे में लिखा गया है। अनेक भाषाओं में अनूदित इस उपन्यास का विश्व साहित्य में बहुत बड़ा दर्जा है। मूलतः जर्मन भाषा में लिखा यह उपन्यास 1960 के दशक में बहुत लोकप्रिय हुआ।
 
यह विश्वप्रसिद्ध उपन्यास लिखने वाले हरमन हेस को 1946 में साहित्य के क्षेत्र में योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

तीन

भगवान बुद्ध और उनका धम्म
लेखक : बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर
अनुवाद : भदंत आनंद कौसल्यायन 
प्रकाशक : सुधीर प्रकाशन

तीसरी किताब Dr. B. R. Ambedkar की किताब The Buddha and His Dhamma का हिंदी अनुवाद है। यह किताब भारतीय सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में एक प्रमुख व्यक्ति और भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार बी. आर अंबेडकर द्वारा लिखी गई गौतम बुद्ध की पुनर्व्याख्यात्मक जीवनी है। यह बौद्ध धर्म के सामाजिक और नैतिक आयामों पर जोर देती है और यह तथागत बुद्ध के जीवन और बौद्ध धर्म के सिद्धांतों पर प्रकाश डालती है। कई पाठकों ने इसे सिर्फ़ बुद्ध की जीवनी नहीं माना है, बल्कि बौद्ध दर्शन के नज़रिए से समानता, न्याय और तर्कसंगतता की वकालत करने वाला एक सामाजिक-राजनीतिक घोषणापत्र भी कहा है। यह किताब अंबेडकर के अनूठे दृष्टिकोण के माध्यम से बौद्ध धर्म की पुनर्व्याख्या तो प्रस्तुत करती ही है। सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों के समकालीन मुद्दों से जुड़ी गहराई इसे आज और अधिक प्रासंगिक बनाती है। यह बाबासाहेब अंबेडकर रचित अंतिम पुस्तक है।

चार

The Heart of the Buddha's Path
लेखक : Dalai Lama 14th, Tenzin Gyatso
प्रकाशक : Harper Collins Publishers

‘द हार्ट ऑफ़ द बुद्धा पाथ’ चौदहवें दलाई लामा, तेनजिन ग्यात्सो द्वारा रचित पुस्तक है। दलाई लामा इसमें बौद्ध धर्म की ज़रूरी शिक्षाओं के बारे में विस्तार से बात करते हैं। यह किताब बौद्ध धर्म को समझने की इच्छा रखने वालों के लिए मार्गदर्शिका जैसी है। यह किताब बताती है कि जीवन में आंतरिक शांति और ख़ुशी पाने के लिए बताए गए ज़रूरी सिद्धांतों को कैसे लागू किया जा सकता है। यह किताब सीधे-सीधे जीवन में दुख की उपस्थिति को स्वीकार करने, करुणा को जीवन से जोड़ने और उसका अभ्यास करने, दुख की समाप्ति के मार्ग जैसे बौद्ध धर्म के मूलभूत विचारों का विस्तार करती है। 

ये सभी किताबें संबंधित प्रकाशकों और ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट से ख़रीदी जा सकती हैं। 

'बेला' की नई पोस्ट्स पाने के लिए हमें सब्सक्राइब कीजिए

Incorrect email address

कृपया अधिसूचना से संबंधित जानकारी की जाँच करें

आपके सब्सक्राइब के लिए धन्यवाद

हम आपसे शीघ्र ही जुड़ेंगे

15 मई 2024

जेएनयू क्लासरूम के क़िस्से-2

15 मई 2024

जेएनयू क्लासरूम के क़िस्से-2

जेएनयू क्लासरूम के क़िस्सों की यह दूसरी कड़ी है। पहली कड़ी में हमने प्रोफ़ेसर के नाम को यथावत् रखा था और छात्रों के नाम बदल दिए थे। इस कड़ी में प्रोफ़ेसर्स और छात्र दोनों पक्षों के नाम बदले हुए हैं। मैं पु

14 अप्रैल 2024

लोग क्यों पढ़ते हैं अंबेडकर को?

14 अप्रैल 2024

लोग क्यों पढ़ते हैं अंबेडकर को?

यह सन् 2000 की बात है। मैं साकेत कॉलेज, अयोध्या में स्नातक द्वितीय वर्ष का छात्र था। कॉलेज के बग़ल में ही रानोपाली रेलवे क्रॉसिंग के पास चाय की एक दुकान पर कुछ छात्र ‘क़स्बाई अंदाज़’ में आरक्षण को लेकर

07 मई 2024

जब रवींद्रनाथ मिले...

07 मई 2024

जब रवींद्रनाथ मिले...

एक भारतीय मानुष को पहले-पहल रवींद्रनाथ ठाकुर कब मिलते हैं? इस सवाल पर सोचते हुए मुझे राष्ट्रगान ध्यान-याद आता है। अधिकांश भारतीय मनुष्यों का रवींद्रनाथ से प्रथम परिचय राष्ट्रगान के ज़रिए ही होता है, ह

24 मई 2024

पंजाबी कवि सुरजीत पातर को याद करते हुए

24 मई 2024

पंजाबी कवि सुरजीत पातर को याद करते हुए

एक जब तक पंजाबी साहित्य में रुचि बढ़ी, मैं पंजाब से बाहर आ चुका था। किसी भी दूसरे हिंदी-उर्दू वाले की तरह एक लंबे समय के लिए पंजाबी शाइरों से मेरा परिचय पंजाबी-कविता-त्रय (अमृता, शिव और पाश) तक सी

बेला लेटेस्ट

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

पास यहाँ से प्राप्त कीजिए