चीज़ें पर कविताएँ

कविता के भाव में कहें

तो चीज़ें वे हैं जिनसे हमारी दुनिया बनती है और बर्बाद भी होती है। यहाँ प्रस्तुत है चीज़ों की उपस्थिति-अनुपस्थिति को दर्ज करती कविताओं का यह व्यापक चयन।

अंतिम ऊँचाई

कुँवर नारायण

धीरे-धीरे

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

तुमसे अलग होकर

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

प्रेम लौटता है

गौरव गुप्ता

अनुवाद

अनामिका

एक दिन

अखिलेश सिंह

लगभग

अनुराग अनंत

प्रार्थना

नवीन रांगियाल

पतंग

संजय चतुर्वेदी

सौंदर्य

निरंजन श्रोत्रिय

हंडा

नीलेश रघुवंशी

ख़ाली आँखें

नवीन रांगियाल

भव्यता के विरुद्ध

रविशंकर उपाध्याय

धरती सारी

अदिति शर्मा

पिता

नवीन रांगियाल

औरतें

शुभा

चश्मा

राजेंद्र धोड़पकर

निष्कर्ष

शुभांकर

ईंटें

नरेश सक्सेना

सेवानिवृत्ति

अविनाश मिश्र

प्यार

अच्युतानंद मिश्र

नीयत और नियति

अजंता देव

सात दिन का सफ़र

मंगलेश डबराल

तुम अगर सिर्फ़

सारुल बागला

बिछड़ने की आशंकाएँ

नवीन रांगियाल

सन् 3031

त्रिभुवन

सिलबट्टा

हेमंत कुकरेती

हलफ़नामा

नाज़िश अंसारी

दीवारें

निखिल आनंद गिरि

ग़लत जगह

नवीन रांगियाल

मछलीघर

हेमंत देवलेकर

मेज़

गिरिराज किराडू

जड़ें

राजेंद्र धोड़पकर

ख़ूबसूरती

सारुल बागला

टॉर्च

मंगलेश डबराल

जश्न-ए-रेख़्ता (2022) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

फ़्री पास यहाँ से प्राप्त कीजिए