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पाखंड पर सबद

इस चयन में प्रस्तुत

कविताओं का ज़ोर पाखंडों के पर्दाफ़ाश पर है। ये कविताएँ पाखंड को खंड-खंड करने का ज़रूरी उत्तरदायित्व वहन कर रही हैं।

रे नर ऐसा गुरु ना कीजै

दरिया (बिहार वाले)

पंडित पढ़ि गुन भए बिलाई

दरिया (बिहार वाले)

पंडित सांच कहे जग मारे

दरिया (बिहार वाले)

तीर्थ बर्त कर्म रचि राखा

दरिया (बिहार वाले)

अवधू मैं मेरा मन समझया

हरिदास निरंजनी

अवधू आसण बैसण झूठा

हरिदास निरंजनी

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