Font by Mehr Nastaliq Web

धर्मनिरपेक्षता पर कविताएँ

भारतीय संविधान में विशेष

संशोधन के साथ धर्मनिपेक्षता शब्द को शामिल किए जाने और हाल में सेकुलर होने जैसे प्रगतिशील मूल्य को ‘सिकुलर’ कह प्रताड़ित किए जाने के संदर्भ में कविता में इस शब्द की उपयोगिता सुदृढ़ होती जा रही है। यहाँ इस शब्द के आशय और आवश्यकता पर संवाद जगाती कविताओं का संकलन किया गया है।

अस्मिता

ज़ुबैर सैफ़ी

मुसलमान

देवी प्रसाद मिश्र

हलफ़नामा

असद ज़ैदी

सन् 1992

अदनान कफ़ील दरवेश

गंगा मस्जिद

फ़रीद ख़ाँ

फ़हमीदा आपा के नाम

सत्येंद्र कुमार

गले मिलते रंग

विनोद दास

डॉल्टनगंज के मुसलमान

विशाल श्रीवास्तव

तक़दीर का बँटवारा

रामधारी सिंह दिनकर

नूर मियाँ

रमाशंकर यादव विद्रोही

कर्बला

राजेश जोशी

निज़ामुद्दीन

देवी प्रसाद मिश्र

मेरे अपराध

नवनीत पांडे

शब्द मुसलमान

उमा शंकर चौधरी

अहमदाबाद

शिव कुमार गांधी

एक दिन जब सारे मुसलमान

अदनान कफ़ील दरवेश

विलय

राजेश शर्मा

ख़ुदा, रामचंदर में यारी है ऐसी

रमाशंकर यादव विद्रोही

लव जेहाद

फ़िरोज़ ख़ान

अयोध्या

कुबेर दत्त