पाखंड पर उद्धरण
इस चयन में प्रस्तुत
कविताओं का ज़ोर पाखंडों के पर्दाफ़ाश पर है। ये कविताएँ पाखंड को खंड-खंड करने का ज़रूरी उत्तरदायित्व वहन कर रही हैं।

अपराधी व्यक्ति सोचते हैं कि सब बात उन्हीं के विषय में है।

स्त्री का नब्बे प्रतिशत प्रच्छन्न रहता है।

इतना जान लो कि स्वर्ग का जितना अधिकार वेदों के ज्ञाता को है उतना ही अधिकार भंगी का काम करने वालों को है। किंतु यदि वेदों का ज्ञाता कोरा पंडित या पाखंडी हो तो वह चाहे जितना बड़ा विद्वान् क्यों न हो, फिर भी नरक में पड़ेगा और भंगी 'ब्रह्म' शब्द न जानते हुए।