सो नैना मोरे तुरिया तत पद अटके

so naina more turiya tat pad atke

चरनदास

चरनदास

सो नैना मोरे तुरिया तत पद अटके

चरनदास

और अधिकचरनदास

    सो नैना मोरे तुरिया तत पद अटके।

    सुरति निरति की गम नहिं सजनी जहाँ मिलन को लटके॥

    भूलो जगत बकत कछ औरै बेद सुरानन ठठके।

    प्रीति रीति की सार जानै डोलत भटके भटके॥

    किरिया कर्म मर्म उरझे रे ये माया के भटके।

    ज्ञान ध्यान दोउ पहुँचत नाहीं राम रहीमा फटके॥

    जग कुल रीति लोक मर्यादा मानत नाहीं हटके।

    चरनदास सुकदेव दया सूँ त्रैगुन तजि के सटके॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : हिंदी के जनपद संत (पृष्ठ 172)
    • रचनाकार : चरनदास
    • प्रकाशन : मोेतीलाल बनारसी, दिल्ली
    • संस्करण : 1963

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए