हिंदी पर निबंध
एक भाषा और मातृभाषा
के रूप में हिंदी इसका प्रयोग करने वाले करोड़ों लोगों की आशाओं-आकांक्षाओं का भार वहन करती है। एक भाषाई संस्कृति के रूप में उसकी जय-पराजय चिंतन-मनन का विषय रही है। वह अस्मिता और परिचय भी है। प्रस्तुत चयन में हिंदी, हिंदीवालों और हिंदी संस्कृति को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।
हिंदी साहित्य जगत का सिंहावलोकन
आज से उन्नीस वर्ष पहले, जब कि हिंदी साहित्य सम्मेलन का जन्म नहीं हुआ था, और उसके जन्म के पश्चात् भी कई वर्षों तर अपनी मातृ-भाषा का स्वतंत्र अस्तित्व सिद्ध करने के लिए, हमें पग-पग पर न केवल संस्कृत, प्राकृत, शौरसेनी, मागधी, सौराष्ट्री की छान-बीन करते