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हिंदी पर संस्मरण

एक भाषा और मातृभाषा

के रूप में हिंदी इसका प्रयोग करने वाले करोड़ों लोगों की आशाओं-आकांक्षाओं का भार वहन करती है। एक भाषाई संस्कृति के रूप में उसकी जय-पराजय चिंतन-मनन का विषय रही है। वह अस्मिता और परिचय भी है। प्रस्तुत चयन में हिंदी, हिंदीवालों और हिंदी संस्कृति को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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