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हिंदी पर कविताएँ

एक भाषा और मातृभाषा

के रूप में हिंदी इसका प्रयोग करने वाले करोड़ों लोगों की आशाओं-आकांक्षाओं का भार वहन करती है। एक भाषाई संस्कृति के रूप में उसकी जय-पराजय चिंतन-मनन का विषय रही है। वह अस्मिता और परिचय भी है। प्रस्तुत चयन में हिंदी, हिंदीवालों और हिंदी संस्कृति को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।

भानजी के टीथ

अंजुम शर्मा

हिंदी

प्रभात

हिंदी

अनुभव

प्रतिज्ञा

कुशाग्र अद्वैत

कविता-पाठ

असद ज़ैदी

चेहरा

रघुवीर सहाय

आभार

पंकज चतुर्वेदी

सच है

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

हिंदी

रघुवीर सहाय

वरिष्ठ कवियो

कृष्ण कल्पित

हिंदी

पंकज चतुर्वेदी

हमारी लाचारी

असद ज़ैदी

खड़ी बोली

अविनाश मिश्र

हिंदी का नमक

कमल जीत चौधरी

हिंदी

आस्तीक वाजपेयी

आभार

पंकज चतुर्वेदी

भाषा

आस्तीक वाजपेयी

सरकारी हिंदी

पंकज चतुर्वेदी

संपादक

रवि भूषण पाठक

हिंदी का अर्थ

रामकुमार वर्मा

हिंदी के हरफ़नमौला

कमल जीत चौधरी

हमारी हिंदी

रघुवीर सहाय

ज्ञ

संतोष कुमार चतुर्वेदी

दिल्ली 2018

गिरिराज किराडू

अपनी हिंदी उसे मैं नहीं मानता

शैलेंद्र कुमार शुक्ल

हिंदी के विभागाध्यक्ष

पंकज चतुर्वेदी

हिंदी का लेखक

आलोक श्रीवास्तव

एक भाषा का विषाद काल

आलोक श्रीवास्तव

उस स्त्री की हिंदी

महेंद्र भल्ला