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बादल पर कविताएँ

मेघ या बादल हमेशा से

मानव-मन को कल्पनाओं की उड़ान देते रहे हैं और काव्य में उनके विविध रूपों और भूमिकाओं का वर्णन होता रहा है। इस चयन में शामिल है—बादल विषयक कविताओं का संकलन।

प्रेमपत्र

सुधांशु फ़िरदौस

निराला के प्रति

धर्मवीर भारती

एक धुँधला दिन

सौरभ अनंत

मेघ आए

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

ये अषाढ़ के पहले बादल

कृष्ण मुरारी पहारिया

बारिश

सौरभ अनंत

एक माहिया

अजंता देव

बादल राग

अवधेश कुमार

बादल राग (एनसीईआरटी)

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

ये चैत के आकाश आजकल

मनप्रसाद सुब्बा

उठ किसान ओ

त्रिलोचन

बादल

श्रीप्रसाद

बादल की तरह

अनिल कार्की

भीगना

अमेय कांत

जिस बादल के पीछे तुम हो

वीरभद्र कार्कीढोली

ज़िद मछली की

इला कुमार

स्याद्वाद

कन्हैयालाल सेठिया

पानी भरे हुए बादल

गिरिजाकुमार माथुर

मेघ

प्रदीप्त प्रीत

बादलों ने

शंकरानंद

बदलीवाला एक दिन

राजेंद्र यादव

बादल

लाल्टू

बादल

अलेक्सांद्र पूश्किन

उनए उनए भादरे

नामवर सिंह

भटका मेघ

श्रीकांत वर्मा

बादरा साँवरे!

जगदीश चतुर्वेदी

मेघ-मल्लार

प्रभाकर माचवे

उठे बादल, झुके बादल

हरिनारायण व्यास

बादल

चंपा वैद

तुम हो बादल, तुम बरस रही हो

सुरेंद्र स्निग्ध

नदी में बादल

आनंद गुप्ता

बादल

मधु सिंह

आए बादल हँसने

संजय चतुर्वेदी

गहरा आकाश

जसवंत दीद

मेघ मनावनि

बालमुकुंद गुप्त

बदलियाँ

अनिल जनविजय