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चक पॉलनीक के उद्धरण

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ख़ुदा बस इतना ही करता है कि देखता रहता है हमें, और मार देता है—जब हम उबाऊ हो जाते हैं। हमको कभी भी, हो सके तो हर समय, उबाऊ होने से बचना चाहिए।

लोगों को चाहिए शैतान जिस पर वे विश्वास कर सकें—एक सच्चा, भयानक दुश्मन। एक शैतान जिसके वे ख़िलाफ़ हो सकें। नहीं तो, सब कुछ हम-बनाम-हम है।

जब हमें नहीं पता होता कि किससे नफ़रत करें, हम ख़ुद से शुरुआत करते हैं।

सभ्यता की मूलभूत मान्यताओं को रद्द करो, ख़ासकर सामान इकट्ठा करते रहने के महत्त्व को।

उसे ही मारोगे हमेशा, चाहते हो जिसे सबसे ज़्यादा।

मैं ज़ख़्मों के बिना नहीं मरना चाहता।

कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता तुम कितने भी सावधान रहे आओ, एक एहसास तुम्हें हमेशा सालता रहेगा कि तुमसे कुछ छूट रहा है। तुम्हारी चमड़ी के ठीक नीचे धड़कता एक एहसास कि तुमने सब कुछ नहीं भोगा है। दिल के भीतर एक डूबता एहसास कि जिन पलों से तुम गुज़रे हो, उन पर और ज़्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए था। सच कहूँ तो इनके आदती हो जाओ, एक रोज़ तुमको तुम्हारी सारी ज़िंदगी यूँ ही महसूस होने वाली है।

इतनी चमकदार रौशनी में, अँधेरे में गुज़रे लंबे समय बाद, जो दिखता है वह सिर्फ़ स्याह और सफ़ेद है, सिर्फ़ रूपरेखाएँ जिनके ख़िलाफ़ पलक झपकाना चाहिए।

भविष्य एक वादे से धमकी में कैसे बदल गया?

तुम ख़रीदते हो फ़र्नीचर। दुहराते हो ख़ुद से कि आख़िरी होगा यह सोफ़ा जिसकी ज़रूरत है इस जीवन में। अगले कुछ वर्षों तक तुम संतुष्ट रहते हो कि जो भी गुज़रे, सोफ़े के सवाल को तुमने सुलझा लिया। और फिर बर्तन, एक बढ़िया बिस्तर, पर्दे और तुम ग़ुलाम हो जाते हो अपने ही हसीन घोंसले के। वे वस्तुएँ जिनके तुम मालिक बनने निकले थे, अब तुम्हारी मालिक हैं।

मरेंगे हम सब। सवाल ज़िंदा रहने का नहीं है, सवाल वह रचने का है जो ज़िंदा रह सके।

सच्चे सुख का एक ही रास्ता है—निष्कवच होना।

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हम इतिहास के बीचोबीच पैदा हुए हैं, यार! लक्ष्य, ठिकाना। कोई युद्ध नहीं हमारे सामने। कोई मंदी। हमारे सारे युद्ध अंदरूनी हैं, आध्यात्मिक हैं। हमारे लिए महान मंदी हमारा जीवन ही है। हम सबके बचपन टेलीविज़न देखते गुज़रे हैं—इस यक़ीन के साथ कि एक रोज़ हम भी भी लखपति होंगे, सिने-स्टार होंगे, रॉकस्टार होंगे; लेकिन नहीं होंगे हम। और धीरे-धीरे खुल रही है यह बात हमारे सामने। और हम नाराज़ हैं इस पर, बेहद नाराज़ हैं।

दुख भूलना कठिन है, लेकिन उससे कठिन है मिठास याद रखना। सुख जताने का कोई ज़ख़्मी चिह्न नहीं हमारे पास। हम शांति से बहुत कम सीखते हैं।

हम अपनी तबाही के लिए ज़्यादा, निर्माण के लिए कम जाने जाएँगे।

एक बार, मेरा जीवन मुझे मेरा जीवन बेहद संपूर्ण लगने लगा था। शायद हमको ख़ुद का विध्वंस करना होता है कि रच सकें हम कुछ नया।

आपको भान होगा कि भविष्य के प्रति हमारा भय ही हमारी अतीत से मुक्ति पाने में बाधा है।

लोग प्यार में पड़ जाते हैं अपने दुखों के, पीछे नहीं छोड़ पाते—बिल्कुल अपनी सुनाई कहानियों की तरह… हम ख़ुद अपने बंदी हैं।

क्या तबाही के बाद ही हमारा पुनर्जन्म संभव है?

सारी मुस्कुराहटें क्षणिक हैं, उसके बाद बस दाँत रह जाते हैं।

अज्ञात होना, प्रसिद्धि का नया चलन है।

जिसे आप चाहते हैं, और जो आपको, वे दोनों कभी एक इंसान नहीं होते।

अगर जागता हूँ किसी और जगह, अलग समय में, क्या मैं अलग इंसान की तरह भी जागूँगा?

यह रहा तुम्हारा जीवन… और यह हर पल ख़त्म हो रहा है।

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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