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पूँजीवाद पर उद्धरण

चालबाज़ी का एक तरीक़ा, व्यक्तियों में निजी सफलता की पूंजीवादी भूख पैदा करना है। यह चालबाज़ी कभी सीधे-सीधे अभिजनों द्वारा की जाती है, तो कभी परोक्ष रूप से अंधलोकवादी (पॉपुलिस्ट) नेताओं द्वारा कराई जाती है।

पॉलो फ़्रेरा

पूँजीवादी समाज में व्यक्ति को अपनी स्थिति-रक्षा का संघर्ष करना ही पड़ता है।

गजानन माधव मुक्तिबोध

बुद्धि जो कि अलिप्त, निर्मम, स्व-पर-निरपेक्ष कही जाती है, उसी के क्षेत्र में इतनी आत्म-केंद्रिता का विकास—पूँजीवादी समाज की विशेषता है। फिर साहित्य और कला का क्या कहना।

गजानन माधव मुक्तिबोध

‘फ़्रीडम’ (स्वतंत्रता) का अर्थ जो लोग ‘पूँजीवादी की स्वतंत्रता’ लेते हैं—हम उसके विरुद्ध हैं।

गजानन माधव मुक्तिबोध

पूँजीवाद एक बार सुप्रतिष्ठित हो जाने पर सांस्कृतिक क्षेत्र में सबसे पहले कविता पर हमला करता है।

गजानन माधव मुक्तिबोध

पूँजीवाद कवियों को वह विश्व-दृष्टि और विश्व-स्वप्न रखने ही नहीं देता कि जो दृष्टि या जो स्वप्न, जीवन-जगत् की व्याख्या और उसकी विकासमान प्रक्रिया के आभ्यंतरीकरण से उत्पन्न होता है।

गजानन माधव मुक्तिबोध