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वियोग पर उद्धरण

वियोग संयोग के अभाव

या मिलाप न होने की स्थिति और भाव है। शृंगार में यह एक रस की निष्पत्ति का पर्याय है। माना जाता है कि वियोग की दशा तीन प्रकार की होती है—पूर्वराग, मान और प्रवास। प्रस्तुत चयन में वियोग के भाव दर्शाती कविताओं का संकलन किया गया है।

जुदाई का हर निर्णय संपूर्ण और अंतिम होना चाहिए; पीछे छोड़े हुए सब स्मृति-चिह्नों को मिटा देना चाहिए, और पुलों को नष्ट कर देना चाहिए, किसी भी तरह की वापसी को असंभव बनाने के लिए।

निर्मल वर्मा

उपासनीय कौन है? जो सरस है सरस कोन है? जो प्रेम का स्थान है। प्रेम क्या है? जिसमें वियोग हो। वह वियोग कौन सा है? जिससे प्रेमी जीवित नहीं रहते।

कवि कर्णपूर

संसार में उत्पन्न हुए प्राणियों के आपस में होनेवाले मिलनों का अंत निश्चय ही वियोग में होता है जैसे जल में बुलबुले प्रकट होते हैं और मिट जाते हैं।

वेदव्यास

प्रेम अपनी गहराई को वियोग की घड़ी पहुँचने के पहले तक स्वयं नहीं जानता।

खलील जिब्रान

हे प्रिय! तू जैसा चाहे वैसा कर। चाहे तो मुझे विरह में रुला चाहे मिलन से प्रसन्न कर दे। मैं तुझसे यह नहीं कहूँगा, कि तू मुझे इस प्रकार रख। वह मनुष्य ही क्या है जो हृदय से इस प्रकार इच्छा करे कि मुझे इस प्रकार रख।

उमर ख़य्याम