वियोग पर सवैया

वियोग संयोग के अभाव

या मिलाप न होने की स्थिति और भाव है। शृंगार में यह एक रस की निष्पत्ति का पर्याय है। माना जाता है कि वियोग की दशा तीन प्रकार की होती है—पूर्वराग, मान और प्रवास। प्रस्तुत चयन में वियोग के भाव दर्शाती कविताओं का संकलन किया गया है।

आयो बसंत दहंत सखी घर

शंभुनाथ मिश्र

कोयल कूक तैं हूक हिये

बिड़दसिंह माधव

रोइ रिसाइ उठै कबहूं

चंद्रशेखर वाजपेयी

चंदन पंक गुलाब को नीर

चंद्रशेखर वाजपेयी

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