
मैं कोई मतदान नहीं करूँगा। कर नहीं चुकाऊँगा। किसी पंक्ति में खड़े होकर क्यू नहीं बनाऊँगा। कोई उपाधि, सम्मान, लाइसेंस, बीमा, पासपोर्ट, परमिट, पद या पोर्टफ़ोलियों नहीं लूँगा। मैं सामाजिक सुरक्षा नहीं चाहता। बहीखाते ढोने और औरों के लिए कंधे पर बंदूक़ें ढोने और गोली चलाने के बजाय मैं जंगलों और गुफाओं में चला जाऊँगा…।

स्त्रियों की सुरक्षा का विचार अभी भी पुरुषों के मन से नहीं गया है। यह आपकी स्त्री दयालुता और सुरक्षा में एक इच्छुक आधिपत्य का सुझाव देता है।

सुरक्षा जीवन का नकार है।

वंचना से धन का संग्रह कर उसकी रक्षा करना, कच्चे घड़े में जल भर कर उसकी रक्षा करने के समान होता है।