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हाना आरेन्ट

1906 - 1975

जर्मन-अमेरिकी इतिहासकार और दार्शनिक। 20वीं शताब्दी के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक सिद्धांतकारों में से एक.के रूप में समादृत।

जर्मन-अमेरिकी इतिहासकार और दार्शनिक। 20वीं शताब्दी के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक सिद्धांतकारों में से एक.के रूप में समादृत।

हाना आरेन्ट के उद्धरण

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जब बुराई को अच्छाई के साथ प्रतिस्पर्धा करने दी जाती है, तो बुराई में भावात्मक जनवादी गुहार होती है जो तब तक जीतती रहती है जब तक कि अच्छे पुरुष और स्त्रियाँ दुर्व्यवहार के ख़िलाफ़ एक अग्र-दल के रूप में खड़े हो जाएँ।

कोई विचार ख़तरनाक नहीं है, सोचना ख़ुद में ही ख़तरनाक है।

यह दुखद सच्चाई है कि सबसे ज़्यादा बुराई उन लोगों द्वारा की जाती है जो कभी भी अच्छे या बुरे होने का मन नहीं बना पाते हैं।

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मेरा यह मानना है कि आजकल भले मानव का अस्तित्व केवल समाज के सीमांत पर ही संभव है, जहाँ आदमी को भूखे मरने या मौत तक पत्थरबाज़ी का जोख़िम उठाना पड़ता है। इन परिस्थितियों में, विनोदपूर्णता बहुत मदद करती है।

पूर्णतावादी शासन का आदर्श विषय कायल नाजी या समर्पित कम्युनिस्ट नहीं, बल्कि वे लोग हैं जिनके लिए तथ्य और कल्पना; सच और झूठ के बीच भेद ख़त्म हो गया है।

  • संबंधित विषय : झूठ
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जब आप विदेश में होते हैं तो जीवन को प्यार करना आसान होता है। जहाँ आपको कोई नहीं जानता और आपके जीवन पर सिर्फ़ आपका नियंत्रण होता है, आप किसी अन्य समय की तुलना में अपने ख़ुद के अधिक स्वामी होते हैं।

क्रांतिकारी क्रांतियाँ नहीं करते हैं। क्रांतिकारी वे होते हैं जो जानते हैं कि ताक़त कब गलियों में गिरी होती है और फिर वे इसे उठा सकते हैं।

एकपक्षीय शिक्षा का उद्देश्य कभी भी धारणा को मन में बिठा देना नहीं, बल्कि किसी भी प्रकार की धारणा बनाने की क्षमता को नष्ट कर देना रहा है।

सिर्फ़ भीड़ और अभिजात वर्ग ही सर्वसत्तावाद के आवेग से आकर्षित हो सकते हैं। जनसाधारण को प्रचार द्वारा जीतना पड़ता है।

मैं इस नियम का पालन करती हूँ : सबसे ख़राब के लिए तैयार रहो, सबसे अच्छे की उम्मीद रखो; और जो होता है उसे स्वीकार कर लो।

विचारहीनता और बुराई के बीच अजीब परस्पर निर्भरता है।

बुराई उदासीनता पर फलती-फूलती है और इसके बिना अस्तित्व में नहीं हो सकती है।

बीसवें और तीसवें दशक के सर्वसत्तावादी अभिजात वर्ग का सबसे बड़ा फ़ायदा तथ्य के किसी भी बयान को उद्देश्य के प्रश्न में बदल देना था। इसलिए, प्राधिकरण का सबसे बड़ा दुश्मन अवमानना है, और इसे कमज़ोर करने का सबसे पक्का तरीक़ा हँस देना है।

रूढ़ोक्तियों, सामान्य वाक्यांशों, अभिव्यक्ति और आचरण के पारंपरिक, मानसिक कोडों के अनुपालन को हमें वास्तविकता से बचाने के लिए सामाजिक रूप से मान्यता प्राप्त है।

क्षमा कार्य और आज़ादी की कुंजी है।

राजनीतिक रूप से, तर्क की कमज़ोरी हमेशा से यह रही है कि जो लोग कम बुराई को चुनते हैं, वे बहुत जल्द भूल जाते हैं कि उन्होंने बुराई को चुना है।

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