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फ्रांत्ज़ फ़ैनन

1925 - 1961

फ्रांत्ज़ फ़ैनन के उद्धरण

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भाषा बोलना एक दुनिया और एक संस्कृति को अपनाना है।

आज मैं प्रेम की संभावना में विश्वास करता हूँ; इसीलिए मैं इसकी ख़ामियों, इसकी विकृतियों का पता लगाने का प्रयास करता हूँ।

मैं एक इंसान के रूप में विनाश का जोखिम उठाता हूँ, ताकि दो या तीन सत्य दुनिया पर अपना आवश्यक प्रकाश डाल सकें।

हे मेरे शरीर, मुझे ऐसा आदमी बनाओ जो हमेशा सवाल करता रहे!

मेरा विश्वास करो, नीरस व्यक्ति उपनिवेशवादियों से अधिक भयानक हैं।

जिस व्यक्ति के पास भाषा होती है, वह नतीजतन उस भाषा द्वारा व्यक्त और निहित दुनिया का स्वामी होता है।

यह श्वेत व्यक्ति है जो नीग्रो बनाता है। लेकिन यह नीग्रो है जो अफ़्रीकी पहचान बनाता है।

बुर्जुआ वर्ग को जो बनाता है—वह उसका रवैया, रुचि या शिष्टाचार नहीं है। यह उसकी आकांक्षाएँ भी नहीं हैं। बुर्जुआ वर्ग सर्वोपरि सटीक आर्थिक वास्तविकताओं का प्रत्यक्ष उत्पाद है।

मैं जिस दुनिया से गुज़रता हूँ, मैं उसमें ख़ुद को अंतहीन रूप से बना रहा हूँ।

श्रेष्ठता? हीनता? क्यों बस दूसरे को छूने, दूसरे को महसूस करने, एक-दूसरे को खोजने का प्रयास करें?

बजाय इसके कि मेरा प्रियतम मेरी बचकानी कल्पनाओं को वास्तविकता में बदलने की अनुमति दे : उसे मुझे उनसे परे जाने में मदद करनी चाहिए।

…इस दुनिया में बहुत सारे बेवक़ूफ़ हैं।—यह कहने के बाद, मुझ पर इसे साबित करने का बोझ है।

बोलने का मतलब है… सबसे बढ़कर किसी संस्कृति को ग्रहण करना, सभ्यता के भार को सहारा देना।

जब कोई श्रेष्ठता का दावा करता है और वह मानक से नीचे गिर जाता है तो उसे कोई माफ़ी नहीं मिलती।

लोगों को सब कुछ समझाया जा सकता है, बस एक शर्त पर कि आप वास्तव में चाहते हैं कि वे समझें।

जो मायने रखता है—वह दुनिया को जानना नहीं, बल्कि उसे बदलना है।

उत्पीड़ित लोग हमेशा अपने बारे में सबसे बुरा सोचेंगे।

भाषा को अस्पष्ट करने का व्यवसाय एक मुखौटा है, जिसके पीछे लूट का बहुत बड़ा व्यवसाय है।

नीग्रो अपनी हीनता से ग़ुलाम है, श्वेत व्यक्ति अपनी श्रेष्ठता से ग़ुलाम है… दोनों ही एक विक्षिप्त उन्मुखीकरण के अनुसार व्यवहार करते हैं।

जो मायने रखता है वह आपकी त्वचा का रंग नहीं है, बल्कि वह शक्ति है जिसकी आप सेवा करते हैं और लाखों लोगों को धोखा देते हैं।

भाषा पर महारत असाधारण शक्ति प्रदान करती है।

प्रत्येक पीढ़ी को अपने मिशन की खोज करनी चाहिए, उसे सापेक्ष अस्पष्टता में पूरा करना चाहिए या उसे धोखा देना चाहिए।

जब हम विद्रोह करते हैं तो यह किसी विशेष संस्कृति के ख़िलाफ़ नहीं होता है। हम सिर्फ़ इसलिए विद्रोह करते हैं, क्योंकि कई कारणों से, हम अब साँस नहीं ले सकते।

हिंसा मनुष्य द्वारा स्वयं का पुनर्निर्माण है।

अंततः वे महसूस करते हैं कि परिवर्तन का अर्थ उन्नति करना नहीं है, परिवर्तन का अर्थ सुधार नहीं है।

हम मानते हैं कि व्यक्ति को मानवीय स्थिति में निहित सार्वभौमिकता को ग्रहण करने का प्रयास करना चाहिए।

…पुराने मूल्य व्यर्थ और बचकाने भय ग़ायब हो गए।

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यदि दर्शन और बुद्धि का उपयोग मनुष्यों की समानता की घोषणा करने के लिए किया जाता है, तो उनका उपयोग मनुष्यों के विनाश को उचित ठहराने के लिए भी किया जाता है।

मैं चाहता हूँ कि दुनिया मेरे साथ हर चेतना के खुले दरवाज़े को पहचाने।

किसी सरकार या पार्टी को वे लोग मिलते हैं, जिनके वे हक़दार होते हैं और जल्द या बाद में लोगों को वह सरकार मिलती है, जिसके वे हक़दार होते हैं।

साम्राज्यवाद सड़ाँध के कीटाणुओं को पीछे छोड़ देता है, जिन्हें हमें बिना आवेग के केवल अपनी ज़मीन से बल्कि अपने दिमाग से भी पहचान कर निकाल देना और हटा देना चाहिए।

यह नस्लवादी है जो हीनता पैदा करता है।

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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