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धर्म पर काव्य खंड

धारयति इति धर्म:—यानी

जिसने सब कुछ धारण कर रखा है, वह धर्म है। इन धारण की जाती चीज़ों में सत्य, धृति, क्षमा, अस्तेय, शुचिता, धी, इंद्रिय निग्रह जैसे सभी लक्षण सन्निहित हैं। धर्म का प्रचलित अर्थ ‘रिलीज़न’ या मज़हब भी है। प्रस्तुत चयन में धर्म के अवलंब पर अभिव्यक्त रचनाओं का संकलन किया गया है।

सुंदरकाण्ड

तुलसीदास

पाहुड़ दोहा-9

मुनि रामसिंह

पाहुड़ दोहा- 2

मुनि रामसिंह

पाहुड़ दोहा-3

मुनि रामसिंह

पाहुड़ दोहा-10

मुनि रामसिंह

पाहुड़ दोहा-12

मुनि रामसिंह

पाहुड़ दोहा-7

मुनि रामसिंह

पाहुड़ दोहा-8

मुनि रामसिंह

पाहुड़ दोहा-4

मुनि रामसिंह

पाहुड़ दोहा-11

मुनि रामसिंह

पाहुड़ दोहा-6

मुनि रामसिंह

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