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आधुनिकता पर कविताएँ

दुनिया चली गई आगे

मंगेश पाडगाँवकर

न सीमा न सम्मति

कैलाश पुरी

ओज़ोन वैली

वसंत दत्तात्रेय गुर्जर

मशीनें

सुखपालवीर सिंह हसरत

विपर्यस्त

अनिल त्रिपाठी

मशीनी इंसान

अतिया दाऊद

आधुनिकता

रामनिवास जाजू

कुतुबमीनार के सामने

लक्ष्मीकांत मुकुल

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

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