दलित पर कविताएँ

हिंदी कविता में गए कुछ

दशकों में दलित-विमर्श के उजाले में चेतना की नई रोशनाई से लिखी गई कविताओं की विचलित कर देने वाली दुनिया सामने आई है। यह चयन ऐसी ही दुनिया के बीच से किया गया है।

ठाकुर का कुआँ

ओमप्रकाश वाल्मीकि

तब तुम क्या करोगे?

ओमप्रकाश वाल्मीकि

पंजे भर ज़मीन

पराग पावन

जो सुहाग बनाते हैं

रमाशंकर सिंह

हिंदू वाली फ़ाइल्स

बच्चा लाल 'उन्मेष'

वज़ीफ़ा

विनोद दास

कौन जात हो भाई

बच्चा लाल 'उन्मेष'

मंगल-भवन

पंकज चतुर्वेदी

वह दिन कब आएगा

ओमप्रकाश वाल्मीकि

ईश्वर की मौत

मोहनदास नैमिशराय

हमारे गाँव में

मलखान सिंह

आंबेडकर

बी. गोपाल रेड्डी

कभी सोचा है

ओमप्रकाश वाल्मीकि

वे भूखे हैं

ओमप्रकाश वाल्मीकि

मेरे लोग

सिद्धलिंगैया

मुट्ठी भर चावल

ओमप्रकाश वाल्मीकि

सुनो ब्राह्मण

मलखान सिंह

पालकी

कुँवर नारायण

बस्स! बहुत हो चुका

ओमप्रकाश वाल्मीकि

लड़की ने डरना छोड़ दिया

श्यौराज सिंह बेचैन

शायद आप जानते हों

ओमप्रकाश वाल्मीकि

मेरे पुरखे

ओमप्रकाश वाल्मीकि

पेड़

ओमप्रकाश वाल्मीकि

झाड़ूवाली

ओमप्रकाश वाल्मीकि

जूता और ढोल

सौरभ राय

अपने ही गाँव में

विपिन बिहारी

शंबूक

कँवल भारती

गंगा-जल

बच्चा लाल 'उन्मेष'

अपराधबोध

श्यौराज सिंह बेचैन

हरिजन-गाथा

नागार्जुन

सच यही है

मोहनदास नैमिशराय

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