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देश पर दोहे

देश और देश-प्रेम कवियों

का प्रिय विषय रहा है। स्वंतत्रता-संग्राम से लेकर देश के स्वतंत्र होने के बाद भी आज तक देश और गणतंत्र को विषय बनाती हुई कविताएँ रचने का सिलसिला जारी है।

कोविड में बहरा हुआ

अंधा बीच बज़ार।

शमशानों में ढूँढ़ता

कहाँ गई सरकार॥

जीवन सिंह

खाल खींचकर भुस भरा

और निचोड़े हाड़।

राजा जी ने देश के

ख़ूब लड़ाए लाड़॥

जीवन सिंह

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

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