देश पर संस्मरण
देश और देश-प्रेम कवियों
का प्रिय विषय रहा है। स्वंतत्रता-संग्राम से लेकर देश के स्वतंत्र होने के बाद भी आज तक देश और गणतंत्र को विषय बनाती हुई कविताएँ रचने का सिलसिला जारी है।
देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद
1935 का वर्ष था। इलाहाबाद क्रिश्चियन कॉलेज में अपना कृश शरीर साधारण वस्त्रों से आच्छादित किए एक दीर्घकाय व्यक्ति छात्रों को ईमानदारी और रचनात्मक कार्य का महत्त्व समझा रहा था। उसके कृषक जैसे मुख-मंडल पर दो विशाल नेत्र चमक रहे थे। ऐसा प्रतीत होता था मानो
पुरुषोत्तम दास टंडन
प्रवासियों के संबंध में मेरे संस्मरण
सन् 1876-77 के भीषण अकाल में—जब मैं केवल सोलह वर्ष का बालक था—मुझे पहले-पहल यह मालूम हुआ कि हमारे देशवासी अन्य देशों में बसने के लिए जाते या ले जाए जाते हैं। उसी समय मैंने आरकाटियों और एजेंटों को देखा, जो हृष्ट-पुष्ट मज़बूत मई-औरतों को भरती करके नेटाल