देश पर आलोचनात्मक लेखन
देश और देश-प्रेम कवियों
का प्रिय विषय रहा है। स्वंतत्रता-संग्राम से लेकर देश के स्वतंत्र होने के बाद भी आज तक देश और गणतंत्र को विषय बनाती हुई कविताएँ रचने का सिलसिला जारी है।
सरदार पूर्णसिंह और उनकी विचार धारा
फ्रांस के एक प्रसिद्ध आलोचक का कथन है कि यदि किसी कलाकार की कृतियों के रहस्य को हृदयंगम करना हो तो उसके जीवन की सभी घटनाओं का भली-भाँति अध्ययन करना चाहिए। सरदार पूर्णसिंह ने चार पाँच निबंध लिखकर ही हिंदी के निबंध-साहित्य में जो शीर्ष स्थान प्राप्त किया